आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की, FD पर ब्याज दरों में और कमी की संभावना

KNEWS DESK-  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में फिर से रेपो रेट में कटौती कर दी है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में रेपो रेट को 6 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत करने की घोषणा की है, जो इस साल की तीसरी कटौती है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने नकदी आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 1 प्रतिशत की कटौती की है, ताकि अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाई जा सके और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके।

रेपो रेट में इस कमी का सीधा असर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और बचत खातों पर मिलने वाले ब्याज दरों पर पड़ना तय है। फरवरी 2025 के बाद से देश के बड़े सरकारी और निजी बैंकों ने एफडी दरों में 30 से 70 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती कर दी है। RBI की इस नई कटौती के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों में और कमी आ सकती है। सिर्फ FD ही नहीं, बल्कि बैंकों ने बचत खातों पर भी ब्याज दरों में कटौती की है। SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, बचत खातों की न्यूनतम ब्याज दर पहले ही 2.70% तक नीचे आ गई है। इस दिशा में आगे भी कटौती की संभावना जताई जा रही है।

  • एसबीआई (SBI): प्रमुख सरकारी बैंक एसबीआई ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट दरों में कटौती की है और अब 1 वर्ष से 5 वर्ष तक की FD पर ब्याज दर लगभग 5.5% से लेकर 6.1% के बीच है।

  • आईसीआईसीआई बैंक: प्राइवेट बैंक ने भी FD पर दरों को घटाकर करीब 5.75% से 6% के स्तर पर ला दिया है।

  • एचडीएफसी बैंक: यहां भी एफडी दरें लगभग 5.5% से 6% के बीच देखने को मिल रही हैं।

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि रेपो रेट में कटौती का उद्देश्य लोगों को अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे अर्थव्यवस्था में गति आए। हालांकि इससे एफडी जैसे सुरक्षित निवेशों पर मिलने वाली ब्याज दरें कम होंगी, लेकिन आर्थिक विकास को मजबूती मिलने से यह कदम जरूरी भी है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ऐसे समय में निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को विविधता देने और लंबी अवधि के लिए सोचकर निवेश करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि बैंकिंग सिस्टम में ब्याज दरों में गिरावट जारी रह सकती है।

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