प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर को दी बड़ी सौगात, चिनाब और अंजी ब्रिज का किया उद्घाटन

KNEWS DESK-  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए चिनाब रेल ब्रिज और भारत के पहले केबल-स्टेड अंजी ब्रिज का भव्य उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) को राष्ट्र को समर्पित किया और कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर कश्मीर में रेल यात्रा के एक नए युग की शुरुआत की।

PM मोदी की इस यात्रा के दौरान 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ। इनमें सबसे अहम रही USBRL परियोजना, जिसकी कुल लंबाई 272 किलोमीटर है। इसमें 36 सुरंगें और 943 पुल शामिल हैं। चिनाब ब्रिज को विश्व का सबसे ऊंचा रेल आर्च ब्रिज बताया गया है जिसकी लंबाई 1,315 मीटर है। वहीं, अंजी ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है।

ब्रिज के शुरू होने से कटरा से श्रीनगर की दूरी वंदे भारत ट्रेन से मात्र 3 घंटे में तय की जा सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों को जबरदस्त राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परियोजनाएं राष्ट्रीय एकता और विकास का प्रतीक हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने 350 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस की आधारशिला भी रखी, जो रियासी जिले का पहला मेडिकल कॉलेज होगा।

प्रधानमंत्री ने NH-701 (राफियाबाद से कुपवाड़ा) और NH-444 (शोपियां बाईपास) सड़क परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया, जिन पर कुल मिलाकर 1,952 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा NH-1 और NH-44 पर दो फ्लाईओवरों का उद्घाटन कर राजधानी श्रीनगर में ट्रैफिक को सुगम बनाने की दिशा में भी अहम कदम उठाया गया। प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले पूरे कश्मीर में हाई अलर्ट जारी किया गया था। सुरक्षा बलों ने संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए संदिग्धों के घरों पर छापेमारी की और ड्रोन तथा उन्नत निगरानी तकनीक का इस्तेमाल किया गया। 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) के बाद पीएम की यह पहली यात्रा थी, जिसके कारण सुरक्षा और भी सख्त रही। PM मोदी ने चिनाब ब्रिज के निर्माण में लगे इंजीनियरों और श्रमिकों से भी मुलाकात की और भारतीय इंजीनियरिंग क्षमता की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि हमारे आत्मनिर्भर भारत की ऊंचाई का प्रतीक है।”

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