KNEWS DESK – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी अगले सप्ताह दिल्ली दौरे पर जाने वाली हैं। यह दौरा न केवल राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है, बल्कि राज्य और केंद्र के बीच वित्तीय टकराव के मद्देनजर भी इसकी चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, ममता बनर्जी 9 जून को दिल्ली पहुंचेंगी और वहां दो दिनों तक रुकेंगी। इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी हो सकती है।
राज्य के बकाया 1.70 लाख करोड़ रुपये पर होगी चर्चा
मुख्यमंत्री के इस दौरे का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं में पश्चिम बंगाल को कथित रूप से नहीं मिल रही सहायता को लेकर बातचीत करना है। तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि राज्य का केंद्र पर 1.70 लाख करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें मनरेगा (100 दिन का काम), प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं की बकाया धनराशि शामिल है।
टीएमसी का आरोप है कि राज्य को राजनीतिक कारणों से वित्तीय मदद नहीं दी जा रही, जिससे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। ममता बनर्जी पहले भी रेड रोड पर धरना दे चुकी हैं और मजबूरी में राज्य सरकार को खुद की कोष से राशि आवंटित करनी पड़ी थी, जिससे बंगाल के खजाने पर भारी दबाव पड़ा है।
विधानसभा सत्र और राजनीतिक रणनीति
मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब 9 जून से राज्य विधानसभा का सत्र भी शुरू हो रहा है। इस सत्र में विभिन्न विधेयकों पर चर्चा और पारित होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री के दिल्ली प्रवास और विधानसभा सत्र का संयोग राजनीतिक हलकों में रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इससे संकेत मिलते हैं कि ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के साथ-साथ अपने राजनीतिक एजेंडे को भी धार दे रही हैं।
नीति आयोग की बैठक में गैरहाजिरी पर उठे सवाल
मुख्यमंत्री के इस दौरे के पहले, बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी के नीति आयोग की हालिया बैठक में शामिल न होने पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता जगन्नाथ चटर्जी ने कहा, “प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री से मिलना सामान्य है, लेकिन यह असामान्य है कि ममता बनर्जी नीति आयोग जैसी महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं होतीं। जब तमिलनाडु, झारखंड, हिमाचल और पंजाब जैसे विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक में मौजूद थे, तो ममता क्यों नदारद रहीं?”
भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी राज्य के अधिकारों के मुद्दे को संसद और नीति मंचों पर नहीं बल्कि सड़कों और मीडिया में उठाने की राजनीति कर रही हैं।