हरिद्वार ज़मीन घोटाले में धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई, दो IAS, एक PCS समेत 12 अधिकारी सस्पेंड, विजिलेंस जांच के आदेश

KNEWS DESK- उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में बड़ा भूचाल तब आया जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार ज़मीन घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो IAS, एक PCS और कुल 12 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदने के इस घोटाले ने न सिर्फ नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उत्तराखंड में पारदर्शी प्रशासन की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को भी सामने लाया है।

यह मामला एक अनुपयुक्त, बेकार और बाढ़ संभावित भूमि को अत्यधिक कीमत पर खरीदने से जुड़ा है। हरिद्वार नगर निगम ने 15 करोड़ की अनुमानित कीमत वाली जमीन को बिना किसी तात्कालिक आवश्यकता और उचित प्रक्रिया के 54 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इस खरीद में न तो शासन के नियमों का पालन किया गया और न ही पारदर्शिता बरती गई। यही कारण है कि अब इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस विभाग को सौंप दी गई है।

कौन-कौन हुए सस्पेंड?

सरकार ने अब तक जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की है, उनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:

प्रमुख अधिकारी:

  • कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, हरिद्वार (IAS)

  • वरुण चौधरी – पूर्व नगर आयुक्त (IAS)

  • अजयवीर सिंह – एसडीएम (PCS)

अन्य अधिकारी:

  • निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी

  • राजेश कुमार – कानूनगो

  • कमलदास – तहसील प्रशासनिक अधिकारी

  • विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक

इसके अलावा, पहले चरण में कार्रवाई के तहत:

  • रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त

  • आनंद सिंह मिश्रवाण – अधिशासी अभियंता

  • लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक

  • दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता

इन सभी को निलंबित किया गया, जबकि संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार समाप्त कर अनुशासनिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि कार्य योजना का हिस्सा है। इस कार्रवाई को उत्तराखंड में प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। धामी सरकार का यह कदम उन तमाम शंकाओं को दूर करता है कि सत्ता में रहते हुए भी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर निर्णय नहीं लिए जाते। यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने अपने ही शीर्ष अधिकारियों पर इतनी कड़ी कार्रवाई की है।

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