KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त कर दिया है। देर शाम शासन की ओर से जारी आदेश में यह घोषणा की गई, जिसके बाद राजीव कृष्ण ने रात करीब 9 बजे डीजीपी का कार्यभार ग्रहण कर लिया। वह निवर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें सेवा विस्तार नहीं मिल सका।
राजीव कृष्ण फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और डायरेक्टर विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनकी नियुक्ति ने सबको चौंकाया, क्योंकि उन्होंने 11 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश की सर्वोच्च पुलिस पदवी हासिल की है। हालांकि, सुरक्षा और प्रशासनिक हलकों में यह अनुमान पहले से लगाया जा रहा था कि यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिला, तो राजीव कृष्ण सबसे उपयुक्त उम्मीदवार होंगे।
प्रदेश सरकार ने 2024 में डीजीपी चयन एवं नियुक्ति नियमावली को मंजूरी दी थी, लेकिन उस नियम के तहत अब तक चयन समिति का गठन नहीं हो सका है। ऐसे में पारंपरिक प्रक्रिया से हटकर सीधे नियुक्ति को लेकर कुछ हलकों में चर्चा जरूर हुई, लेकिन राजीव कृष्ण की साख और हालिया कार्यों को देखते हुए निर्णय को व्यापक समर्थन मिला है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। इस संकट के समय सरकार ने भरोसेमंद अधिकारी के रूप में राजीव कृष्ण को भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने जिम्मेदारी संभालते ही परीक्षा को दोबारा और सफलतापूर्वक संपन्न कराया, जिससे सरकार में उनकी साख और मजबूत हुई।
राजीव कृष्ण का प्रशासनिक करियर तीन दशकों से अधिक का रहा है। वह लखनऊ समेत कई जिलों में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वह एडीजी जोन, लखनऊ भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह डीजी इंटेलिजेंस का पद भी संभाल रहे थे।
उनकी गिनती शासन के भरोसेमंद और निर्णयक्षम अधिकारियों में होती है। उन्हें दो बार राष्ट्रपति गैलेंट्री अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्रीधारी राजीव कृष्ण मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के निवासी हैं। उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह एक वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और फिलहाल लखनऊ स्थित आयकर विभाग मुख्यालय में तैनात हैं। राजीव कृष्ण की सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष और एक माह का समय शेष है। ऐसे में संभावना है कि वे लंबे समय तक डीजीपी के पद पर कार्यरत रहेंगे, जिससे राज्य की पुलिस व्यवस्था को स्थायित्व और निरंतर नेतृत्व मिल सकता है।