उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में दोनों राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षो का लगभग कार्यकाल पूरा हो गया है. जिसको लेकर दोनों पार्टियों में मंथन जारी है. इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनाव नहीं लड़ने के बयान को लेकर राजनीति गरमा गई है. भारतीय जनता पार्टी जहां हरीश रावत के इस बयान पर चुटकी ले रही है. वहीं कांग्रेस हरीश रावत के इस फैसले को स्वागत योग्य बता रही है. कांग्रेस का मानना है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी के अनुभवी व्यक्ति हैं. हरीश रावत के पास चुनाव लड़ाने की ताकत है. 2022 विधानसभा चुनाव को अगर हरीश रावत ने पूरे प्रदेश में घुमकर लड़ाया होता तो आज वह सीएम होते. साथ ही भारतीय जनता पार्टी जब हारे हुए व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना सकती है तो ऐसे में कांग्रेस चुनाव जीतने वाले व्यक्ति को पद दे सकती है. हरीश रावत अगर पार्टी को चुनाव लड़ाने में अपनी भूमिका निभाएंगे तो निश्चित है कांग्रेस पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। इस ही बीच भाजपा सहित कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के 3 सालो का कार्यकाल समाप्त हो गया है जिसको लेकर कांग्रेस में भीतर घात के चलते बड़ा नेतत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
हाल ही में कांग्रेस की पिछले दिनों ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई. जिसमें सभी जिला अध्यक्षों को बुलाया गया था. जिसमे जिला अध्यक्षों की पावर बड़ा दी गई है. टिकट बंटवारे में अब जिला अध्यक्षों की अहम भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कार्यकर्ता काम करते हैं. लेकिन जब टिकट बंटवारे की बात आती है तो उन से नहीं पूछा जाता था. उन्होंने कहा कि अब इस पहल के बाद से कांग्रेस पार्टी को बड़ा फायदा होने वाला है. प्रदेश कांग्रेस का यह भी कहना है कि पहले कांग्रेस लीडर बेस पार्टी हुआ करती थी. लेकिन अब कांग्रेस में काफी परिवर्तन हो रहा है और कांग्रेस अब एक कैडर बेस पार्टी की तरफ काम करने जा रही है. उत्तराखंड में कांग्रेस काफी मजबूत हो रही है. कांग्रेस में पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बड़ी बैठक होती थी. लेकिन अब छोटे स्तर पर बैठक कर पार्टी को और मजबूत किया जा रहा है।
वही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि यह हरीश रावत का और उनके समर्थकों का एक प्रायोजित कार्यक्रम है ताकि उनके धड़े के कार्यकर्ता हैं वह हरीश रावत को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करें. और पार्टी भी उनके टिकट को लेकर संजीदा हो जाए साथ ही उन्होंने यह भी सलाह दी की हरीश रावत काफी वरिष्ठ हो चुके हैं उम्र भी अधिक हो गई है ऐसे में उन्हें राजनीति से संन्यास की बात करनी चाहिए ना कि चुनाव न लड़ने की. रही बात प्रदेश अध्यक्ष की चयन की तो बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का कहना है कि सभी प्रक्रिया पाइप लाइन में है. पहलगाम आतंकी हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर की वजह से तमाम चीजें प्रभावित हो गई थी. इसी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया भी प्रभावित हुईं. क्योंकि 30 अप्रैल तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चयन करने का लक्ष्य रखा गया था. ऐसे में इस लक्ष्य को डेढ़ महीने आगे बढ़ा दिया गया है. यानी 15 जून तक प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया जा सकता है।वही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव को लेकर भी सुगबुआहट तेज हो चली है।
अब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2027 के चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया है रावत का माना हे अब वो 2027 के लिए कैंपेन को लीड करेंगे और कांग्रेस को दुबारा सत्ता में वापस लाएंगे रावत के बयान पर सत्ता पक्ष चुटकी ले रहा है। साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव को लेकर कांग्रेस गुटों में बटी नजर आ रही है वही कांग्रेस अध्यक्ष अपना आगे का लक्ष्य बता रहे है लक्ष्य है कि कांग्रेस को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पूरी मजबूती के साथ तैयार करने का।साथ ही बूथ स्तर तक संगठन को शक्ति देने और कांग्रेस की नई पीढ़ी को तैयार करने हेतु संकल्पबद्ध रखने का।बरहाल क्या इस लक्ष्य के साथ पूर्व के हुए कांग्रेस के नुकसान के चलते आलाकमान वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष पर मेहरबानी बनाए रखेगा।ये देखना अभी बाकी होगा