भारत में फिर बढ़ रहे कोरोना के केस, जापानी ‘बाबा वेंगा’ की भविष्यवाणी से मचा डर

KNEWS DESK-  भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे देशभर में सतर्कता का माहौल बन गया है। इस बीच जापान की रहस्यमयी मंगा कलाकार और भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी की दशकों पुरानी भविष्यवाणी एक बार फिर चर्चा में है। रियो, जिन्हें ‘जापानी बाबा वेंगा’ कहा जाता है, ने 2030 में एक और घातक महामारी की चेतावनी दी थी — और चूंकि उनकी पिछली कुछ भविष्यवाणियाँ सच साबित हो चुकी हैं, लोग अब चिंतित हैं।

1999 में प्रकाशित अपनी किताब “The Future as I See It” में रियो तात्सुकी ने सपनों से प्रेरित कुछ भयावह भविष्यवाणियाँ दर्ज की थीं। किताब में उन्होंने कहा था “2020 में एक अज्ञात वायरस आएगा जो अप्रैल में भारी तबाही मचाएगा। वह कुछ समय बाद धीमा पड़ जाएगा, लेकिन 10 साल बाद, यानी 2030 में, यह वायरस और भी घातक रूप में लौटेगा।” इस भविष्यवाणी को अब फिर से गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि 2020 में आए कोरोना वायरस के प्रकोप को रियो की किताब के शब्दों से मेल खाता बताया जा रहा है।

हालांकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने लोगों से घबराने की अपील की है। ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा “दक्षिण भारत से लिए गए सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग में यह स्पष्ट हुआ है कि वर्तमान में सामने आ रहे मामले ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स के हैं और ये गंभीर नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि अभी की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम है और गंभीर लक्षणों वाले मरीजों का प्रतिशत भी बहुत न्यून है।

रियो तात्सुकी की एक और भविष्यवाणी जुलाई 2025 को लेकर है, जिसमें उन्होंने जापान और फिलीपींस के बीच एक विशाल पानी के नीचे की दरार से पैदा होने वाली भयंकर सुनामी की बात कही है। जापान में भूकंप और सुनामी का इतिहास देखते हुए इस पूर्वानुमान को लेकर भी सरकार और नागरिकों के बीच बेचैनी है।

हालांकि, जापानी सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक चेतावनी नहीं जारी की है, लेकिन आपदा प्रबंधन एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है।

भविष्यवाणियाँ चाहे जितनी भी सटीक लगें, विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर जागरूकता, विज्ञान-आधारित चिकित्सा व्यवस्था, और सतर्कता ही किसी भी संभावित महामारी या आपदा से लड़ने का वास्तविक उपाय हैं। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस तरह की भविष्यवाणियाँ केवल चिंता पैदा करती हैं और लोगों को प्रामाणिक स्रोतों से ही सूचना लेने की सलाह दी गई है।

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