दीपक चतुर्वेदी- बरेली में 200 करोड़ रुपये की ठगी के मास्टरमाइंड राजेश मौर्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। राजेश मौर्य श्रीगंगा इन्फ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है और पिछले डेढ़ साल से फरार चल रहा था। पुलिस ने उसे पीलीभीत बाईपास रोड स्थित चन्द्रगुप्त पुरम कॉलोनी में उसके आवास से गिरफ्तार किया।
ठगी करने का निकाला अनोखा तरीका
राजेश मौर्य ने साल 2018 में गंगा इन्फ्रासिटी के नाम से रियल एस्टेट कंपनी शुरू की और भुता थाना क्षेत्र में 200 बीघा भूमि पर प्लॉटिंग योजना का प्रचार किया। 100 गज के प्लॉट की कीमत 3 लाख रुपये तय की गई, जिसमें 1.25 लाख रुपये सरकारी दर पर और शेष 1.75 लाख रुपये नकद वसूले गए। कंपनी ने निवेशकों को मंथली रिटर्न स्कीम और पांच साल में पैसा दोगुना करने का वादा किया, जिसके लिए खाली चेक भी दिए गए।
पहले जीता निवेशकों का विश्वास बाद में की धोखाधड़ी
शुरुआत में कुछ निवेशकों को भुगतान किया गया, जिससे उनका विश्वास जीता गया। बाद में भुगतान बंद कर दिया गया और दिए गए चेक बाउंस हो गए। इससे निवेशकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने विभिन्न थानों में मुकदमे दर्ज कराए। राजेश मौर्य और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।

गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने सर्विलांस और लगातार दबिश के जरिए राजेश मौर्य को गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ बरेली, दिल्ली, मथुरा और अन्य जिलों में धोखाधड़ी और जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं। गिरफ्तारी के बाद उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है। यह मामला रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश करते समय सतर्क रहने की आवश्यकता को उजागर करता है। निवेशकों को किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले उसकी वैधता और विश्वसनीयता की जांच अवश्य करनी चाहिए।
परिवार के लोगों को भी किया शामिल
इस कंपनी में राजेश मौर्य ने अपने परिवार के लोगों को भी शामिल किया और उनकी मदद से ठगी का जाल फैला दिया। लोगों को मुनाफे का झांसा देकर फंसाने के लिए मोटी कमीशन वाले एजेंट लगा रहे थे। किसी को मोटे मुनाफे का झांसा दिया और किसी को जमीन का लालच दिया। इस तरह उसने करीब दो सौ करोड़ रुपये की ठगी कर डाली।
मामला दर्ज होने पर 20 लाख देकर जमानत कराई पर रकम वापस नहीं की
श्रीगंगा इंफ्रासिटी के एमडी ग्रीन पार्क में अरमान हाइट्स निवासी राजेश मौर्य, डायरेक्टर उसके भाई अजय मौर्य, दिनेश मौर्य, विश्वनाथ मौर्य, सिविल लाइंस निवासी शिवनाथ मौर्य, कृष्णनाथ मौर्य और चंद्रगुप्त मौर्य पुरम निवासी मनोज मौर्य ने उन लोगों को वर्ष 2016 में अच्छे मुनाफे का लालच देकर फंसाया। फिर उनकी मां से 2.66 करोड़, उनके भाई प्रिंस अग्रवाल से 1.22 करोड़ और उनसे 20 लाख रुपये लेकर यह कंपनी फरार हो गई। इतना ही नहीं आरोपियों ने जेल जाने पर उनसे मदद मांगी तो उन्होंने करीब 20 लाख रुपये खर्च करके हाईकोर्ट से जमानत कराई। मगर उनकी रकम फिर भी वापस नहीं मिली।