KNEWS DESK- हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत को महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र और फलदायक माना गया है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। तभी से यह व्रत वट (बरगद) वृक्ष की पूजा के साथ श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत?
पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वट वृक्ष के नीचे यमराज से वापस लिए थे। तभी से इस दिन को पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के प्रतीक के रूप में मनाया जाने लगा। वट वृक्ष को भी अत्यंत पवित्र माना गया है क्योंकि यह त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है।
वट सावित्री व्रत 2025: क्या करें?
-
सवेरे स्नान कर व्रत का संकल्प लें। शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूर्ण श्रृंगार करें।
-
सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें, साथ ही उनका स्मरण करें।
-
वट वृक्ष की पूजा करें – जल, रोली, चना, गुड़, मौली, फूल और फल अर्पित करें।
-
धागा या मौली वट वृक्ष के चारों ओर 7, 11 या 21 बार लपेटें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
-
निर्जला उपवास करना पुण्यदायक माना जाता है, हालांकि स्वास्थ्य अनुसार व्रत रखें।
-
सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र की पूजा कर सकते हैं।
-
व्रत का पारण अगले दिन करें और ब्राह्मण अथवा जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दान दें।
वट सावित्री व्रत 2025: क्या न करें?
-
झूठ न बोलें और किसी का अपमान न करें।
-
इस दिन बाल और नाखून काटने से बचें।
-
पति से झगड़ा या कटु वचन न कहें।
-
मैले या अपवित्र वस्त्र पहनने से बचें।
-
दोपहर बाद सोना वर्जित माना गया है।
वट सावित्री व्रत केवल पति की दीर्घायु के लिए नहीं, बल्कि एक स्त्री के आत्मबल, समर्पण और धार्मिक आस्था का प्रतीक भी है। यह व्रत महिलाओं को आंतरिक शक्ति, संयम और श्रद्धा के साथ जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
ये भी पढ़ें- तेजप्रताप यादव 6 साल के लिए RJD से निष्कासित, बीते दिन ही रिलेशनशिप को लेकर किया था पोस्ट