डिजिटल डेस्क- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में आरक्षण विवाद में घिरी IAS पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 मई तक रोक लगा दी है। पूजा खेडकर पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी OBC और PwD सर्टिफिकेट जमा करने का आरोप है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ खेडकर द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनवरी में न्यायालय ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।
खंडपीठ ने दिया आदेश
उसके (पूजा खेडकर) खिलाफ दर्ज अपराधों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह उपयुक्त मामला है, जहां हाईकोर्ट को अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत की राहत प्रदान करनी चाहिए थी। गिरफ्तारी की स्थिति में अपीलकर्ता को 25,000/- का जुर्माना और दो जीवित जमानतदार प्रस्तुत करते हुए जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। वह आगामी जांच में पूरा सहयोग करेगी और अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगी। किसी भी तरह से गवाहों को प्रभावित नहीं करेगी या रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगी। यदि उपरोक्त शर्तों का कोई उल्लंघन होता है तो प्रतिवादी अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करने की स्वतंत्रता सुरक्षित है। उपरोक्त निर्देशों के साथ आपराधिक अपील की अनुमति दी जाती है

क्या मामला है पूजा खेडकर का?
पूजा खेडकर मामला भारतीय सिविल सेवा चयन प्रक्रिया में धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के उपयोग से जुड़ा एक प्रमुख विवाद है। 2023 बैच की महाराष्ट्र कैडर की IAS प्रोबेशनरी अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्रों और गलत जानकारी के माध्यम से UPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त की। पूजा खेडकर ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, जबकि उनके परिवार की आय ₹8 लाख से अधिक थी, जिससे वे क्रीमी लेयर में आती थीं और आरक्षण के पात्र नहीं थीं। इसके अलावा न्होंने मानसिक और दृष्टि संबंधी दिव्यांगता का दावा किया, जबकि जांच में यह असत्य पाया गया।