संभल की जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद, हाईकोर्ट आज दोपहर 2 बजे सुनाएगा अहम फैसला

KNEWS DESK-  संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद और कथित हरिहर मंदिर विवाद से जुड़ी एक अहम याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट दोपहर 2 बजे अपना फैसला सुनाएगा। यह फैसला मस्जिद कमेटी द्वारा दाखिल की गई सिविल रिवीजन याचिका पर आएगा, जिसमें 19 नवंबर 2024 को संभल की सिविल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।

इस याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ द्वारा की गई है। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद 13 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब 19 मई को सुनाया जाएगा। मस्जिद प्रबंधन समिति के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। संभल के कोट पूर्वी इलाके में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन सहित सात अन्य वादकारियों ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में यह दावा किया कि यह मस्जिद एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। वादकारियों ने मंदिर में प्रवेश और पूजन का अधिकार मांगा है।

इस मामले में 19 नवंबर 2024 को संभल की सिविल कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को एडवोकेट कमिश्नर के साथ मिलकर मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। आदेश के कुछ ही घंटों बाद प्रारंभिक सर्वे शुरू हुआ, और फिर 24 नवंबर को हुए विस्तृत सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की जान चली गई।

मस्जिद कमेटी ने सिविल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद 8 जनवरी 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत के सर्वे आदेश और मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से अब तक इस मामले में करीब 15 सुनवाइयाँ हो चुकी हैं।

हाईकोर्ट ने इस दौरान रमज़ान के महीने में मस्जिद की रंगाई-पुताई को लेकर मस्जिद कमेटी की एक अर्ज़ी को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एएसआई को सिर्फ बाहरी दीवारों पर रंगाई-पुताई की अनुमति दी थी।

कई विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला न केवल संभल, बल्कि देशभर में धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। फैसले पर दोनों पक्षों की नजरें टिकी हैं और स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी है। अब देखना यह होगा कि हाईकोर्ट अपने फैसले में सर्वे को अनुमति देता है या सिविल कोर्ट के आदेश को खारिज करता है। जो भी हो, 19 मई का यह दिन धार्मिक और कानूनी दोनों ही दृष्टिकोण से ऐतिहासिक माना जा रहा है।

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