मिलावटखोरी पर लगाम के लिए सीएम योगी का बड़ा कदम, मिलावटखोरों की तस्वीरों को चौराहों पर लगाने के दिए निर्देश

लखनऊ- खाद्य पदार्थों में मिलावट कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों की अब शामत आने वाली है। प्रदेश की योगी सरकार ने ऐसे मिलावटखोरों को सबक सिखाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। योगी सरकार का ये कदम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वालों को सार्वजनिक कर लोगों को उनकी सेहत के दुश्मनों के जहां पता लगाने में सहायक हो सकेगा, वहीं मिलावटखोरों को सजा के साथ-साथ सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ेगा। योगी सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद मिलावटखोरों में हड़कंप मचा हुआ है।

प्रमुख चौराहों पर तस्वीरों को लगाने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए  कहा कि ऐसे लोगों (मिलावटखोरों) को सार्वजनिक रूप से चिन्हित किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएं, ताकि जनता भी उन्हें पहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए।

नकली औषधियों के कारोबार पर भी हो प्रभावी नियंत्रण

नकली औषधियों के कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस के साथ विभागीय समन्वय को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके। औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा भी बैठक में की गई।

12 मंडलों में स्थापित हुई नई प्रयोगशालाएं

समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताया कि राज्य में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ है। पूर्व में कार्यरत छह प्रमुख मंडलों के अलावा अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय स्थापित किए गए हैं। लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशाला भवनों का उच्चीकरण किया गया है। साथ ही, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जिनमें सूक्ष्मजीव, प्रोटोजोआ, विषाणु, जीवाणु, माइक्रोटॉक्सिन्स तथा अन्य रोगकारक जीवों की जांच संभव हो पाई है। लखनऊ और मेरठ में परीक्षण भी प्रारंभ हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के संचालन व रखरखाव हेतु एक ‘कॉर्पस फंड’ स्थापित करने का सुझाव दिया।