KNEWS DESK- भारत ने बुधवार देर रात एक ऐसा सैन्य ऑपरेशन अंजाम दिया जिसकी गूंज सरहद पार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत तक सुनाई दी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर उच्च-प्रिसिशन मिसाइल स्ट्राइक की।
यह ऑपरेशन उन महिलाओं को समर्पित किया गया है, जिन्होंने अपने पति को उस हमले में खोया था। भारत ने इस बार अपने जवाब में स्पष्ट संकेत दिया है – आतंकवाद की कीमत चुकानी होगी।
ऑपरेशन की खास बातें-
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9 आतंकी ठिकानों पर एक साथ हमला, यह अब तक की सबसे समन्वित और गहरी सैन्य कार्रवाई है।
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100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि सूत्रों से हुई है।
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यह हमला PoK तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तान के मुख्य प्रांत पंजाब में भी सटीक निशाने साधे गए।
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कार्रवाई सीमापार जमीनी लड़ाई के बिना की गई, यानी भारत की मिसाइलें बिना सीमा पार किए लक्ष्य तक पहुंचीं।
किन-किन इलाकों को बनाया गया निशाना?
सूत्रों के अनुसार, जिन इलाकों पर प्रिसिशन स्ट्राइक की गई उनमें शामिल हैं:
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बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का गढ़)
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मुरिदके (लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय)
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सियालकोट (सीमा से महज 10–20 किमी दूर)
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चाक अमरू (सीमा से सिर्फ 5–10 किमी की दूरी पर)
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मुझफ्फराबाद और कोटली (PoK में प्रमुख आतंकी अड्डे)
क्यों कहा जा रहा है इसे 1971 और बालाकोट से भी बड़ी कार्रवाई?
भारत की 1971 की जंग में ज़मीनी बढ़त प्रमुख उद्देश्य था – पश्चिमी पाकिस्तान के इलाकों में प्रवेश और कब्ज़ा। वहीं 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक सीमित जवाबी कार्रवाई थीं। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने पहली बार पाकिस्तान के तथाकथित नो-गो ज़ोन को निशाना बनाया, और पाकिस्तान के अंडिस्प्यूटेड हिस्से – यानी बहावलपुर और मुरिदके जैसे इलाकों – पर भी प्रहार किया। यह केवल आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीतिक प्रहार नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य नीति का संकेत भी है – अब खतरा जहां से भी उठेगा, जवाब वहीं तक पहुंचेगा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री, सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना से विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने इस ऑपरेशन पर संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह कार्रवाई भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए आवश्यक थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई से पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राज्य के DGP से बात कर सुरक्षा स्थिति का जायज़ा लिया।
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