KNEWS DESK – भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच देश अब युद्ध के हालात के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की दिशा में कदम उठा रहा है। 7 मई को पूरे देश में नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) से जुड़ी एक बड़ी मॉक ड्रिल होने जा रही है, जो संभवतः 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की जा रही है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस मॉक ड्रिल को प्रभावी ढंग से संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
गृह मंत्रालय का साफ संदेश
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी निर्देशों के पीछे संदेश स्पष्ट है—भारत किसी भी संभावित युद्ध या हमले की स्थिति में नागरिकों को पहले से तैयार देखना चाहता है। मंत्रालय के अनुसार, यह मॉक ड्रिल नागरिकों को युद्धकालीन स्थितियों में आत्मरक्षा, सुरक्षित निकासी और सामूहिक प्रतिक्रिया जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षित करेगी।
मॉक ड्रिल में क्या होगा?
इस सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल में शामिल होंगे कई अहम सुरक्षा उपाय:
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एयर सायरन टेस्टिंग: हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरनों का परीक्षण और संचालन किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संकट के समय वे सही तरीके से कार्य करें।
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ब्लैकआउट अभ्यास: क्रैश ब्लैकआउट यानी अचानक सभी रोशनी बंद करने की प्रक्रिया को भी अभ्यास में शामिल किया जाएगा। यह रणनीति दुश्मन की हवाई निगरानी को विफल करने में मदद करती है।
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महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को छिपाने के उपाय: संवेदनशील क्षेत्रों और प्रतिष्ठानों को सुरक्षित रखने और उन्हें छिपाने की रणनीति पर भी काम किया जाएगा।
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नागरिकों को ट्रेनिंग: आम नागरिक, छात्र और संस्थानों के कर्मचारी यह सीखेंगे कि हवाई या मिसाइल हमले की स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, खुद को और दूसरों को कैसे सुरक्षित रखना है।
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निकासी योजना का अभ्यास: आपात स्थिति में शहरों या संवेदनशील इलाकों से सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया का परीक्षण किया जाएगा।
क्यों जरूरी हो गई यह तैयारी?
सूत्रों के मुताबिक, भारत जल्द ही पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा सैन्य कदम उठा सकता है। ऐसे में पाकिस्तान की तरफ से संभावित जवाबी हमले की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह मॉक ड्रिल खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो दुश्मन के निशाने पर हो सकते हैं।