SHIV SHANKAR SAVITA- केन्द्र सरकार द्वारा लंबे अर्से से विपक्ष द्वारा जाति जनगणना कराने की मांग पर विराम देते हुए इसे कराने का निर्णय ले लिया गया। इस निर्णय को लेकर जहां भाजपा इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही हैं, वहीं कांग्रेस भी इसे अपनी उपलब्धि बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा लंबे अर्से से जातिगत जनगणना को लेकर आवाज उठाई गई थी। कांग्रेस पार्टी के दवाब के बाद भाजपा बैकफुट पर आई और जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया। इस मामले में शुक्रवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर निशाना साधते हुए कटाक्ष किया। मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस आदि द्वारा इसका श्रेय लेकर खुद को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने की होड़ में हैं। कांग्रेस एवं भाजपा आदि की अगर नीयत व नीति बहुजन समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार बन गया होता।
एक्स पर ये लिखा मायावती ने
सोशल मीडिया साइट एक्स पर लगातार दो पोस्ट करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने लिखा कि काफी लम्बे समय तक ना-ना करने के बाद अब केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी कराने के निर्णय का भाजपा व कांग्रेस आदि द्वारा इसका श्रेय लेकर खुद को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने की होड़, जबकि इनके बहुजन-विरोधी चरित्र के कारण ये समाज अभी भी पिछड़ा, शोषित व वंचित। वैसे भी कांग्रेस एवं भाजपा आदि की अगर नीयत व नीति बहुजन समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार बन गया होता, जिससे इनके मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का ’आत्म-सम्मान व स्वाभिमान’ का मिशन सफल होता हुआ ज़रूर दिखता।
क्या है जातिगत जनगणना
जातिगत जनगणना का अर्थ है जनसंख्या की गिनती के दौरान लोगों की जाति (caste) के आधार पर जानकारी इकट्ठा करना। इसे सामान्य जनगणना की तरह ही किया जाता है, लेकिन इसमें खासतौर पर यह पता लगाया जाता है कि किस जाति के कितने लोग हैं, वे कहाँ रहते हैं, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कैसी है, आदि बिंदुओं पर डाटा इकट्ठा करना है। इसका उद्देश्य समाज में विभिन्न जातियों की संख्या, स्थिति और ज़रूरतों को जानना ताकि सरकार नीतियाँ बेहतर बना सके।
सन् 1931 में हुई थी अंतिम बार जातिगत जनगणना
सन् 1931 में आखिरी बार था जब भारत में सभी जातियों की पूरी जनगणना की गई थी। इस जनगणना में जातियों की संख्या, सामाजिक स्थिति, और पेशों का उल्लेख था। लेकिन आज़ादी के बाद की जनगणनाओं में केवल SC (अनुसूचित जाति) और ST (अनुसूचित जनजाति) की गिनती की जाती रही, लेकिन OBC और अन्य जातियों की जानकारी नहीं ली जाती।