क्या आप सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं? पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई करने से SC ने किया इनकार

KNEWS DESK-  सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका आतंकवाद जैसे गंभीर मामलों की जांच में विशेषज्ञ नहीं है और इस तरह के विषयों को न्यायिक दायरे में लाना सुरक्षा बलों के मनोबल के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता फतेह कुमार साहू और अन्य को जमकर फटकार लगाई। याचिका में पहलगाम आतंकी हमले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा “आप एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करवाना चाहते हैं। लेकिन जज जांच के विशेषज्ञ नहीं होते। वे फैसले दे सकते हैं, लेकिन किसी भी आपराधिक जांच की प्रक्रिया का नेतृत्व नहीं कर सकते।”

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा, “क्या आप सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं?” और उन्हें सलाह दी कि इस याचिका को वापस ले लें तथा इस संवेदनशील मामले को न्यायालय के बजाय उचित मंच पर उठाएं।

यह मामला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के बैसरन इलाके में हुए आतंकी हमले से जुड़ा है, जिसमें 26 नागरिकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। हमले में मारे गए अधिकतर लोग अन्य राज्यों के पर्यटक थे, जो पहलगाम घूमने आए थे। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव और गहरा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि, “दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। जो आतंक फैलाते हैं, उन्हें सजा मिलेगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस समय देश में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता है, न कि ऐसे प्रयासों की जो जांच की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करें। अदालत ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर जनहित याचिकाएं दायर करना अदालती समय की बर्बादी है और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं है।

ये भी पढ़ें-   सिरफिरे आशिक ने दी मंडप से उठाकर ले जाने की धमकी, पुलिस के पहरे में हुए सात फेरे