KNEWS DESK- क्रिकेट की दुनिया में सफलता सिर्फ प्रतिभा से नहीं मिलती, इसके पीछे होता है अनगिनत त्याग, अथक परिश्रम और अपनों का अटूट समर्थन। 14 साल की उम्र में आईपीएल में धमाकेदार शतक लगाकर सुर्खियों में आए वैभव सूर्यवंशी की कहानी भी ऐसी ही प्रेरणा से भरी हुई है। उनका सफर सिर्फ उनका नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार का है—जिसमें पिता का संघर्ष, मां का बलिदान और बड़े भाई का समर्पण शामिल है।
वैभव ने अपने पहले आईपीएल शतक के बाद खुलकर बताया कि उनके क्रिकेटर बनने की सबसे बड़ी वजह उनके पिता हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पापा ने मेरे लिए सब कुछ छोड़ दिया। उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी ताकि मुझे क्रिकेटर बना सकें। घर चलाना मुश्किल हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मुझे रोज़ एकेडमी लाना-ले जाना, मेरी प्रैक्टिस के लिए दिन-रात मेहनत करना—ये सब उन्हीं के भरोसे का नतीजा है कि आज मैं यहां हूं।”
वैभव की मां ने भी अपने बेटे के सपने को साकार करने के लिए अपनी नींद और आराम तक त्याग दिए। वैभव ने बताया कि उनकी मां सिर्फ तीन घंटे ही सोती थीं। “रात के 2 बजे उठकर वो मेरी सारी तैयारी करती थीं, ताकि मैं समय पर प्रैक्टिस जा सकूं। उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। उनके त्याग को मैं कभी नहीं भूल सकता।”
घर की जिम्मेदारियां सिर्फ मां-बाप ने ही नहीं, बड़े भाई ने भी बखूबी निभाईं। वैभव के क्रिकेट में रम जाने के बाद भाई ने अपनी पढ़ाई और करियर की प्राथमिकताएं पीछे छोड़ दीं और घर की बाकी जिम्मेदारियों को संभाल लिया, ताकि वैभव निश्चिंत होकर अपने खेल पर ध्यान दे सकें।
वैभव का रोज़ का रूटीन भी कम कठिन नहीं था। सुबह 6 बजे समस्तीपुर से पटना के जेनिथ क्रिकेट एकेडमी तक का सफर, उससे पहले ट्यूशन और फिर दिन भर में 500 से 600 गेंदों की प्रैक्टिस – यह सब बताता है कि उनकी सफलता किसी चमत्कार का नतीजा नहीं, बल्कि लगातार पसीना बहाने और धैर्य रखने का परिणाम है।
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