KNEWS DESK- 100 घंटे बहुत कुछ बदल सकते हैं। क्रिकेट की दुनिया में ये एक अनोखी कहानी बन गई है – एक 14 साल के खिलाड़ी की, जिसने न सिर्फ खुद को साबित किया, बल्कि अपने आलोचक को भी चुप करा दिया। हम बात कर रहे हैं राजस्थान रॉयल्स के युवा बल्लेबाज़ वैभव सूर्यवंशी की, जिन्होंने अपने शतक से वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।
24 अप्रैल को RCB के खिलाफ एक मुकाबले में वैभव सूर्यवंशी की पारी जल्दी खत्म हो गई थी। उसी दिन सहवाग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि अगर वैभव अपनी पहली इनिंग के छक्के और तगड़ी शुरुआत से ही खुश हो गए हैं, तो शायद वो अगले साल इस लीग में नज़र न आएं। उन्होंने ये भी कहा था कि कई खिलाड़ी एक-दो मैचों से मशहूर हो जाते हैं, लेकिन फिर उनके अंदर स्टारडम का अहंकार आ जाता है और प्रदर्शन गिरने लगता है।
चार दिन बाद, 28 अप्रैल को जयपुर में गुजरात टाइटंस के खिलाफ वैभव ने जो किया, वो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक यादगार लम्हा बन गया। 210 रन के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए, वैभव ने सिर्फ 38 गेंदों में 101 रनों की पारी खेली। ये सिर्फ एक पारी नहीं थी, बल्कि हर उस शंका का जवाब था जो उनकी क्षमता पर उठी थी।
14 साल की उम्र में इतनी परिपक्वता, इतना आत्मविश्वास और इतनी आक्रामकता – यह सब देखना क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। उनकी बल्लेबाज़ी में वो निडरता थी जो बड़े-बड़े सितारों में भी कम देखने को मिलती है।
वैभव ने कोई बयान नहीं दिया, कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने वो किया जो महान सचिन तेंदुलकर करते थे – बल्ले से जवाब देना। उनके शतक में कोई दिखावा नहीं था, सिर्फ इरादा और मेहनत की गूंज थी। सहवाग के कमेंट्स उनके लिए चेतावनी नहीं, बल्कि प्रेरणा बन गए।
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