उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , 2024 वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए कानून में भविष्य में कई बदलाव किए जा सकते है ,वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का वक्त दिया है। सरकार के जवाब के बाद याचिका कर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी। लेकिन उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं. राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को 22 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक बोर्ड के लिए आवश्यक पदों की संरचना तक स्वीकृत नहीं हो सकी है. हैरानी की बात यह है कि राज्य में बोर्ड के अधीन 5388 संपत्तियां मौजूद हैं, लेकिन इनका प्रबंधन सिर्फ कुछ कर्मचारियों के भरोसे किया जा रहा है.उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का गठन 5 अगस्त 2003 को हुआ था. उत्तर प्रदेश से अलग होते समय बोर्ड को 2032 सुन्नी और 21 शिया वक्फ संपत्तियों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. समय के साथ यह संख्या बढ़कर अब 2146 औकाफ और उनकी 5388 संपत्तियों तक पहुंच चुकी है. लेकिन इन संपत्तियों के रखरखाव, संरक्षण और सही उपयोग की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई स्थायी ढांचा अब तक तैयार नहीं किया गया है.यही वजह है की अब तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की 2013 से जमीन संपत्ति 18 लाख एकड़ होती थी अब ये अकड़ा 2025 में 39 लाख एकड़ तक पहुंच गया है.प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि अब बक्फ़ बिल पास होने और कानून बनने के बाद इसमें गरीब मुसलमान को उनका हक मिलेगा। साथ ही अब सरकार प्रदेश में 57 सौ से जायदा परिसम्पतियों की जांच के साथ उनको भी जनता के अच्छे कामो में लाया जायेगा। वही विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के साथ बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की जमीनों पर हुए कब्जो को लेकर सरकार पर हमला बोला है अगर सरकार मुसलमानों की जमीनों पर कार्यवाही कर रही है तो वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के साथ मंदिर समिति की कब्जाई जमीनों पर भी ध्यान दे और कार्यवाही करे
वही विपक्ष का आरोप है की बीजेपी वक्फ संपत्तियों की चिंता कर रही है, क्या उस तरह से तमाम हिंदुओं के प्रतिष्ठित संस्थानों की खुर्द-बुर्द हो रही जमीनों की भी चिंता कर रही है या नहीं? दरअसल, मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्ति को लेकर सवाल उठाए हैं। साथ ही उसके जरिए सरकार को घेरा है। आरोप लगाया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की लाखों करोड़ों की जमीन पर कब्जा है, लेकिन डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी इन जमीनों को बदरी-केदार मंदिर समिति अपने अधीन लाने में समर्थ नहीं हुआ है. विधायक ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि बी के टीसी की जमीनों पर हुए अवैध कब्जे पर बुलडोजर क्यों नहीं चलता है? यदि मामला न्यायालय में है तो क्यों इन मामलों की पैरवी ठीक तरीके से की जा रही है? उन्होंने कहा ये पूरे देश और दुनिया के लिए बेहद सुखद अनुभव होगा, यदि बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों को बीजेपी अतिक्रमण मुक्त करने में कामयाब रहेगी।