BHAGAT SINGH- देश में बैंक घोटाले कोई नई बात नहीं। पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चौकसी को बेल्जियम से पकड़कर भारत लाया गया, लेकिन बड़े घोटालों के शोर में छोटे गाँवों की लूट अक्सर दब जाती है। ऐसा ही एक रोंगटे खड़े करने वाला मामला उत्तर प्रदेश के बांदा से सामने आया है, जहां आर्यावर्त ग्रामीण बैंक और इलाहाबाद बैंक ने सैकड़ों गरीब किसानों और मजदूरों की खून-पसीने की कमाई पर डाका डाला। बैंक मैनेजर, कैशियर और दलालों ने मिलकर बिना विड्रॉल फॉर्म भरे लाखों रुपये उड़ा दिए। 50 हजार के लोन माफी के नाम पर 4 लाख तक निकाले गए। जब पीड़ितों ने सच जानने की कोशिश की, तो उन्हें गालियां, धमकियां और झूठे मुकदमों का डर दिखाया गया। गुस्साए ग्रामीणों ने बैंक के बाहर “आर्यावर्त चोर बैंक” का बोर्ड लगा दिया। आइए, इस शर्मनाक लूट की पूरी कहानी जानते हैं।

यह मामला बांदा जिले के पैलानी तहसील के गड़रिया गांव का है, जहां आर्यावर्त ग्रामीण बैंक और जसपुरा कस्बे की इलाहाबाद बैंक शाखा ने गरीबों का जीना मुहाल कर दिया। सैकड़ों ग्रामीणों ने बांदा के जिलाधिकारी जे. रिभा से इंसाफ की गुहार लगाई है। आरोप है कि बैंक मैनेजर, कैशियर और स्थानीय दलालों ने मिलकर एक सुनियोजित साजिश के तहत खातों से पैसे गायब किए। शौचालय निर्माण, मजदूरी और सरकारी योजनाओं का पैसा बिना जानकारी के निकाल लिया गया।एक सनसनीखेज मामले में, 50 हजार रुपये के लोन माफी के बहाने एक किसान के आधार कार्ड और खतौनी का दुरुपयोग कर 4 लाख रुपये निकाल लिए गए। जब किसान तहसील में खतौनी लेने गया, तो उसकी जमीन पर बंधक का ठप्पा देख सन्न रह गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह लूट दो-चार लोगों तक सीमित नहीं, बल्कि करीब 400 परिवारों को इसका शिकार बनाया गया।

पीड़ितों का आरोप है कि बैंक कर्मचारी और दलालों ने आधार कार्ड और खतौनी के जरिए फर्जी कर्ज दिखाकर लाखों रुपये हड़पे। जब ग्रामीणों ने बैंक में जवाब मांगा, तो मैनेजर ने उन्हें अपमानित कर भगा दिया। कुछ को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी गई। हैरानी की बात यह है कि पिछले एक साल में दस बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। जांच के नाम पर केवल कागजी खानापूरी की गई। पुराने मैनेजर तबादला कराकर फरार हो गए, लेकिन नए कर्मचारियों और दलालों की लूटपाट जारी है।गुस्साए ग्रामीणों ने हारकर आर्यावर्त बैंक के बाहर चोर बैंक का बोर्ड टांग दिया, लेकिन दोषियों पर अब तक कोई शिकंजा नहीं कसा गया। पीड़ितों ने डीएम को शिकायती पत्र सौंपकर मांग की है कि वर्तमान और पूर्व मैनेजरों, कैशियर, बैंक मित्रों और दलालों की गहन जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।