KNEWS DESK- कांग्रेस पार्टी ने अपने खिसके हुए जनाधार को पुनः स्थापित करने और आगामी विधानसभा चुनावों में अपने रुख को मजबूत बनाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में दो दिन का चिंतन-मंथन किया। इस मंथन से पार्टी ने दो प्रमुख संकल्पनाओं का प्रस्ताव पारित किया, जिनमें एक राष्ट्रीय और दूसरा विशेष रूप से गुजरात पर केंद्रित था। कांग्रेस की रणनीति अब स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आ रही है कि यदि बीजेपी को देश की सत्ता से बाहर करना है तो उसकी शुरुआत गुजरात से ही करनी होगी।
कांग्रेस ने आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी ढाई साल पहले से ही शुरू कर दी थी। यह एक बड़ा कदम है क्योंकि गुजरात में पिछले तीन दशकों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है, और यहां बीजेपी की सत्ता का तिलस्म तोड़ने की चुनौती कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी है। अहमदाबाद में आयोजित इस चिंतन मंथन में कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता हासिल करना नहीं है, बल्कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल के विचारों के साथ सेवा का एक यज्ञ करना है।
कांग्रेस ने इस मंथन में गुजरात की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि देश की स्वतंत्रता संग्राम में गुजरात का अहम योगदान था, और आज भी गुजरात के लोगों की सेवा के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है। कांग्रेस के इस प्रस्ताव में महात्मा गांधी और सरदार पटेल की अहम भूमिका पर जोर दिया गया और यह कहा गया कि पार्टी उनके सपनों का गुजरात बनाने के लिए सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करने को तैयार है।
कांग्रेस ने गुजरात की वर्तमान बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया और राज्य के विकास के मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की। पार्टी ने गुजरात में कांग्रेस शासन के दौरान हुए प्रमुख विकास कार्यों का हवाला दिया, जैसे कि दूध क्रांति, नर्मदा सिंचाई योजना और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का अस्तित्व में आना। कांग्रेस ने यह बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद भी गुजरात के विकास में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
आधिकारिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने यह भी कहा कि गुजरात महात्मा गांधी और सरदार पटेल की जन्मभूमि है, और इन दोनों महान हस्तियों के योगदान को कभी भी नकारा नहीं जा सकता। पार्टी ने यह दावा किया कि गांधी और पटेल के बीच संबंध कभी भी खराब नहीं रहे, जैसा विपक्षी दलों द्वारा आरोपित किया जाता है। कांग्रेस ने इसे एक साजिश करार देते हुए कहा कि ये दोनों नेता हमेशा एकजुट थे और उनके रिश्ते सशक्त थे।
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर गुजरात में बीजेपी को शिकस्त दी जाती है तो यह अन्य राज्यों में बीजेपी के प्रभाव को कमजोर करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विशेष रूप से, गुजरात में बीजेपी की हार से देश के अन्य हिस्सों में पार्टी के लिए संकट खड़ा हो सकता है। कांग्रेस इसे “बीजेपी का तिलस्म तोड़ने” का एक अवसर मान रही है, और यही वजह है कि पार्टी ने गुजरात को लेकर अपनी रणनीति को विशेष महत्व दिया है।
चिंतन-मंथन के बाद कांग्रेस ने जो प्रस्ताव पारित किया, उसमें पार्टी ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ गुजरात में सत्ता वापसी नहीं है, बल्कि देश की स्वतंत्रता संग्राम में गुजरात के योगदान को याद करते हुए एक नया राजनीति दृष्टिकोण पेश करना है। कांग्रेस का मानना है कि अगर वे गुजरात में सफल होते हैं तो न केवल पार्टी की देशभर में साख को मजबूत करने का मौका मिलेगा, बल्कि आगामी चुनावों में बीजेपी को बड़ा झटका भी लग सकता है।
इस दौरान कांग्रेस के नेताओं ने महात्मा गांधी और सरदार पटेल के विचारों को लेकर पार्टी के मार्गदर्शन सिद्धांत को स्पष्ट किया, और यह भी कहा कि कांग्रेस को इस राज्य में पुनः सत्ता में लाने के लिए व्यापक जनसमर्थन की आवश्यकता है।
कांग्रेस का गुजरात में 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए “मिशन गुजरात” स्पष्ट रूप से बीजेपी को चुनौती देने के लिए एक गंभीर रणनीति का हिस्सा है। पार्टी महात्मा गांधी और सरदार पटेल के विचारों को अपने अभियान का हिस्सा बनाते हुए, राज्य के विकास में कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास कर रही है। अगर कांग्रेस अपने इस मिशन में सफल होती है तो यह न केवल गुजरात में बीजेपी की सत्ता को चुनौती देगा, बल्कि पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होगा।
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