महावीर जयंती विशेषः क्या इतिहास रहा है महावीर स्वामी का

SHIV SHANKAR SAVITA- 10 अप्रैल 2025 को पूरे भारत में महावीर जयंती का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा है। महावीर जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल समेत भारत के कई राज्यों में शासकीय अवकाश घोषित है, वहीं आज के दिन सरकारी बैंकों में भी सार्वजनिक अवकाश है। प्राचीन काल से महात्मा बुद्ध के बाद महावीर स्वामी का काल आया जहां उनन्होंने अहिंसा, श्वेतामंबर, अपरिमेय सहित कई बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए समाज सुधार की दिशा में कार्य किए। जैन धर्म में महावीर स्वामी और जैन संप्रदाय के संतों और महावीर जयंती का विशेष महत्व है।

कौन थे महावीर स्वामी

भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में कुंडलवन (बिहार) में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिशला था। बचपन में उनका नाम वर्धमान था, लेकिन अत्यंत साहसी और संयमी होने के कारण उन्हें महावीर कहा गया।

       महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की आयु में घर-परिवार त्याग कर संन्यास ग्रहण किया। उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या और ध्यान करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने जीवन भर अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का उपदेश दिया।उन्होंने सिखाया कि सच्चा धर्म आत्मा की शुद्धता में है, और सभी जीवों के प्रति दया और करुणा रखनी चाहिए। उनका जीवन सादगी, संयम और आत्मबल का प्रतीक था। भगवान महावीर ने 527 ईसा पूर्व में पावापुरी (बिहार) में मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया। उनकी शिक्षाएं आज भी दुनियाभर में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

महावीर स्वामी ने समाज सुधार की दिशा में किए अनेक कार्य

जैन धर्म के 24वें तीर्थांकर के रूप में जाने जाने वाले महावीर स्वामी ने समाज सुधार की दिशा में अनेकों कार्य किये, जिन्हें आज भी याद किया जाता है। महात्मा गांधी ने भी महावीर स्वामी से प्रेरित होकर अहिंसा परमोधर्मः का मार्ग अपनाया था। महावीर स्वामी ने उस समय समाज को प्रकाश दिखाया जब समाज में आडंबरों की भरमार थी। हर दूसरा व्यक्ति राजपाठ और शक्ति प्रदर्शन के लिए हाथों में तलवार लिये दिखाई देता था। आइये जानते हैं कि महावीर स्वामी ने समाज हित में क्या-क्या कार्य किए-

अहिंसा का प्रचार

महावीर स्वामी के अनुसार अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं है, बल्कि विचारों, वाणी और कर्मों से भी किसी को आहत न करना ही सच्ची अहिंसा है। महावीर स्वामी ने समाज को बताया कि हर जीव में आत्मा है और सभी जीव जीना चाहते हैं। उन्होंने समाज सीखाया कि इंसान, जानवर, पक्षी, कीट-पतंगे आदि सबके प्रति दया और करुणा रखनी चाहिए। उन्होंने पशु बलि, शिकार और मांसाहार का विरोध किया।

धर्म को बताया मूल का आधार

महावीर स्वामी ने कहा कि धर्म का असली रूप वही है जिसमें किसी को कष्ट न पहुंचे। बिना अहिंसा के कोई भी पूजा, यज्ञ या धार्मिक कार्य व्यर्थ है।

मन, वचन और कर्म से अहिंसा

उन्होंने सिर्फ शारीरिक हिंसा ही नहीं, बल्कि गुस्सा, नफरत, कटु शब्दों को भी हिंसा माना। एक शांत और संयमी जीवन जीना ही अहिंसा का पालन करना है।

पिछले 2500 वर्षों से मनाई जाती है महावीर जयंती

महावीर जयंती की परंपरा बहुत प्राचीन है और इसे लगभग 2500 वर्षों से मनाया जा रहा है। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, और तब से ही उनके अनुयायियों द्वारा यह दिन धार्मिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। हालाँकि, प्राचीन समय में इसका आयोजन सीमित समुदायों तक ही सीमित था, लेकिन जैसे-जैसे जैन धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ, यह पर्व पूरे भारत और दुनिया के जैन अनुयायियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने लगा। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (तेरहवीं) तिथि को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है, पर यह मार्च-अप्रैल के बीच आती है।

भारत समेत कई देशों में मनाई जाती है महावीर जयंती

महावीर जयंती का आयोजन न सिर्फ भारत में होता है बल्कि इसका आयोजन नेपाल, अमेरिका, यूके, आस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, मलेशिया समेत अनेक देशों में भी होता है।