KNEWS DESK- आप यह जो तस्वीर देख रहे हैं यह यूपी के जनपद बुलंदशहर की डिबाई तहसील क्षेत्र के मां सर्वमंगला बेलोन माता के मंदिर की है, जहां स्थानीय बुजुर्गों के द्वारा बताया जाता है कि यह मंदिर महाभारत के समय का है। लोगों ने बताया की द्वापर युग के अंत में जब महाभारत का समय चल रहा था उस समय भगवान शिव और माता पार्वती आसमान में भ्रमण करते हुए निकल रहे थे, तभी उस समय अचानक माता पार्वती को कुछ थकान महसूस होने लगी, तब माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि हे प्रभु इस वन में कुछ देर आराम कर लिया जाए। तब भगवान शिव की भी इच्छा हुई तब माता पार्वती और भगवान शिव कुछ देर के लिए वहां विश्राम करने लगे।
बुजुर्गों ने बताया और इतिहास के द्वारा लोगों का कहना है की माता पार्वती और भगवान शिव वहां विश्राम करने लगे तो यह एक बैलों का वन था जहां पर माता पार्वती आराम करते-करते वहां पर कुछ देर के लिए नींद में सो गई। तब भगवान शिव ने कुछ समय बाद माता पार्वती से चलने के लिए कहा। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से वहां से जाने से इनकार कर दिया, तब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अभी यहां रहने का तुम्हारा समय नहीं है। अगर आप चाहो तो यहां पर अपनी शक्ति का कुछ अंश छोड़ सकती हो जो आगे चलकर कलयुग में सर्वमंगला बेला भवानी के नाम से जाना जाएगा।
तब भगवान शिव की बात सुनकर माता पार्वती ने एक मूर्ति में अपनी शक्ति का अंश छोड़कर वहां से चल दिए और उस समय एक ग्वालियर नाम के राजा हुआ करते थे जिनके राज्य में यह वन आता था उस समय बैलों के वन में कुछ लोग अपने पशुओं को चारा लेने के लिए घास खोदने जाया करते थे, तब अचानक वहां पर एक पत्थर की मूर्ति को देखकर लोग अचंबे में पड़ गए, क्योंकि बताया जा रहा है उस मूर्ति के अंदर से उस समय बड़ा प्रकाश निकल रहा था लेकिन लोगों ने डर की वजह से किसी को कुछ नहीं बताया। काफी समय बीत गया तो माता बेला भवानी ने ग्वालियर वाले राजा को सपने में दर्शन दिए, लेकिन राजा सपने को झूठा समझकर वन की तरफ चल दिया और वह चलते-चलते उसे जगह पर ही पहुंच गया जहां पर माता सर्वमंगला भवानी की मूर्ति विराजमान थी।

लेकिन राजा को विश्वास नहीं हुआ तब राजा ने अपने राज्य के लोगों को बुलाकर उसकी खुदवान शुरू कर दिया लेकिन माता एक पैर पर विश्राम कर रही थी उस एक पैर का राजा पता नहीं लग सका कि आखिर यह पर जमीन में कहां तक है और राजा अपनी गलती को मानते हुए माता के चरणों में शीश झुका कर बैठ गया। तब माता ने ग्वालियर राजा से कहा, राजा तुम यहां मेरा मंदिर बनवाओ जिससे कि मैं आने वाले कलयुग के समय में अपने भक्तों का उद्धार कर सकूं। हालांकि ग्वालियर के राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया और पूजा अर्चना करने के लिए राजा ने मंदिर को पुजारी के हाथों में सौंप दिया। जब यह मंदिर बैलों के वन में हुआ करता था जहां आसपास सिर्फ जंगल ही जंगल थे। माता के नए-नए चमत्कार होते रहे हालांकि लोगों का यह भी मानना है महाभारत काल के समय पांडवों ने भी इस मंदिर में मां बेला भवानी की पूजा की थी और मां सर्वमंगला बेला भवानी से पांडवों को शस्त्र भी प्राप्त हुए थे। जब लोग नगरकोट माता की जात करने और दर्शन करने जाते हैं तब शेरावाली के दर्शन करने बाद हैं तब सभी जगह के भक्त यहां आकर जरूर दर्शन करते हैं
अगर जो भक्त मां बेला भवानी के दर्शन नहीं करता है उसकी नगरकोट यात्रा है वह सफल नहीं मानी जाती है। हालांकि बुजुर्गों का यह भी कहना है यह बेला भवानी माता उन नौ देवियों में से एक मानी जाती हैं, जबकि सभी जगह सती के कुछ अंश गिरे थे लेकिन यहां माता पूर्ण रूप से विराजमान है। इसलिए इस मंदिर का नाम सर्वमंगला बेला भवानी कहा जाता है और बेलोन माता के नाम पर ही इस जगह का नाम भी बेलोन रख दिया गया। जिससे आप सभी लोग बेलोन माता के नाम से भी मंदिर को जानते हैं।

यह मंदिर रामघाट और कर्णवास दोनों से बराबर की दूरी पर बसा है नरोरा गंगा घाट भी माता बेला भवानी से कुछ दूरी पर ही है जहां पर मां गंगा बहती हैं। बताया जा रहा है यह क्षेत्र पहले से ही महाभारत समय के नाम से जाना जाता था लेकिन इस वक्त मंदिर पर जो पांडा पूजा कराते हैं वह बताते हैं कि हमारी दस पीढ़ी बीत गई और हम लोग तभी से माता बेला भवानी की पूजा अर्चना करते हुए और भक्तों को पूजा कराते हुए आ रहे हैं। वहीं अब कुछ लोग जमीदार भूप सिंह के बारे में बता रहे हैं कि यहां के जमींदार थे जिन्होंने 1720 के आसपास मंदिर का निर्माण कराया था। हालांकि उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया है कि यहां पर पहले बैलों का वन हुआ करता था, तभी से यहां माता के चमत्कार देखे गए हैं
लेकिन पंडितों की बात करें तो पंडित यह कह रहे हैं कि यह राजा ग्वालियर की जमींदारी थी और उनके ही राज्य में यह सब कुछ हुआ है जिनको माता ने सपने में दर्शन दिए और उनसे मंदिर के बनाने के लिए कहा गया तब से लेकर देश के कोने-कोने से बहुत से श्रद्धालु यहां आते हैं और जो भी मन से अपनी मुराद मांगते हैं वह मां उनकी पूरी करती है यह मंदिर यूपी के जनपद बुलंदशहर की डिबाई तहसील क्षेत्र के बेलोन माता के नाम से प्रसिद्ध है जबकि माता को सर्वमंगला बेला भवानी के नाम से पूजा जाता है और यह मंदिर करीब 5000 वर्ष पुराना बताया जा रहा है आखिर सच्चाई क्या है यह तो मा ही जानती है लेकिन भक्तों में माता के प्रति बहुत आस्था है बहुत विश्वास है क्योंकि माता हमेशा यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है जिस समय ग्वालियर वाले राजा को माता ने सपन दिया था उसे समय यह जगह जनपद अलीगढ़ में आया करती थी लेकिन धीरे-धीरे काफी समय से अब यह जगह जनपद बुलंदशहर की डिबाई तहसील क्षेत्र में पड़ती है