KNEWS DESK- दुनिया के टॉप 20 और एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ने हाल ही में एक रणनीतिक कदम उठाते हुए रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात किया और उसे रिफाइन करके अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में बेचा, जिससे उन्होंने लाखों करोड़ रुपये की कमाई की। यह कमाई ऐसे समय में हुई, जब पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए थे, लेकिन रूस से रिफाइन डीजल और पेट्रोल जैसे ईंधन के निर्यात पर कोई रोक नहीं थी।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले एक साल में रूस के कच्चे तेल से बने फ्यूल का अमेरिका को निर्यात करके 72.4 करोड़ यूरो (लगभग 6,850 करोड़ रुपये) की कमाई की है। यूरोपीय शोध संस्थान सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक अमेरिका ने भारत और तुर्की की रिफाइनरियों से लगभग 2.8 अरब यूरो का रिफाइन ऑयल इम्पोर्ट किया, जिसमें से 1.3 अरब यूरो की आय रूस के कच्चे तेल की रिफाइनिंग से हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस की गुजरात स्थित जामनगर रिफाइनरी से पेट्रोल और डीजल का अमेरिकी इम्पोर्ट 2 अरब यूरो का था, जिसमें से 72.4 करोड़ यूरो की कमाई रूस के कच्चे तेल से हुई। हालांकि, रिलायंस द्वारा भेजे गए ईमेल का सीआरईए रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए कोई जवाब नहीं आया है।
फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस पर कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों के तहत रूस के कच्चे तेल पर भी प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन रिफाइनिंग से तैयार होने वाले डीजल और पेट्रोल जैसे ईंधनों के निर्यात पर कोई रोक नहीं थी। यही कारण था कि रिलायंस और अन्य भारतीय रिफाइनरियों ने इस अवसर का फायदा उठाया और सस्ते रूस के कच्चे तेल को रिफाइन कर पश्चिमी देशों को बेचा।
रिलायंस के अलावा, गुजरात में स्थित वाडिनार की नायरा एनर्जी, जो रूस की रोसनेफ्ट-समर्थित है, ने भी बड़ी कमाई की। जनवरी 2024 और जनवरी 2025 के बीच इस रिफाइनरी ने अमेरिका को 18.4 करोड़ यूरो का ईंधन निर्यात किया, जिसमें से 12.4 करोड़ यूरो का ईंधन रूस के कच्चे तेल से रिफाइन किया गया था।
इसके अलावा, मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) ने भी इस अवधि में अमेरिका को 4.2 करोड़ यूरो का ईंधन निर्यात किया, जिसमें से 2.2 करोड़ यूरो रूस के कच्चे तेल से रिफाइन किए गए थे।
तुर्की की तीन रिफाइनरियों ने भी अमेरिका को लगभग 61.6 करोड़ यूरो का ईंधन निर्यात किया, जिसमें से 54.5 करोड़ यूरो रूस के कच्चे तेल से रिफाइन किया गया था। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रूस के कच्चे तेल को रिफाइन करने वाली रिफाइनरियों से पश्चिमी देशों को बड़ी रकम की आय हो रही है।
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सऊदी अरब, तुर्की और भारत की अन्य रिफाइनरियों के साथ मिलकर रूस के कच्चे तेल का सस्ते दामों में आयात किया और उसे रिफाइन करके अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में बेचा, जिससे अरबों रुपये की कमाई हुई। इस व्यापारिक रणनीति ने रिलायंस को वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया रूस पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद सही तरीके से चल रही है, और इससे संबंधित आंकड़े यह साबित करते हैं कि पश्चिमी देशों के लिए भारतीय रिफाइनरियों का योगदान महत्वपूर्ण हो गया है।
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