KNEEWS DESK- देशभर में मुग़ल बादशाह औरंगजेब को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस विवाद में कूदते हुए एक बयान दिया, जिसने राजनीति में हलचल मचा दी। स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के औरंगजेब से जुड़े बयान का समर्थन करते हुए बीजेपी पर तगड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नाथूराम गोडसे से बेहतर औरंगजेब थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, “बीजेपी नेता देश में नफरत का बीज बो रहे हैं, जिसके कारण हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। जो लोग औरंगजेब को अत्याचारी और हिंसक मानते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि वह नाथूराम गोडसे से बेहतर थे, जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की।” उन्होंने आगे कहा कि जो लोग दूसरों पर उंगली उठाते हैं, उन्हें पहले खुद के कर्मों पर नजर डालनी चाहिए।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी का समर्थन किया, जिन्होंने औरंगजेब के शासनकाल को लेकर एक बयान दिया था। अबू आजमी ने कहा था कि औरंगजेब के शासन में भारत की सीमा अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमार) तक फैली हुई थी और इस दौरान भारत को “सोने की चिड़ीया” कहा जाता था। उन्होंने यह भी दावा किया कि औरंगजेब एक क्रूर प्रशासक नहीं था और उसने कई मंदिरों का निर्माण भी कराया था। इसके साथ ही, जब उनसे मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच की लड़ाई पर सवाल किया गया, तो उन्होंने इसे एक राजनीतिक लड़ाई बताया।
महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर चल रहा विवाद अब और भी गर्म हो गया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने ऐलान किया है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर सोमवार को औरंगजेब की कब्र को खत्म करेंगे। वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस घोषणा के साथ यह भी कहा कि इस कदम से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित किया जाएगा।
वीएचपी का यह ऐलान औरंगजेब की कब्र को लेकर समाज में और भी विवादों को जन्म दे सकता है। औरंगजेब को लेकर यह विवाद महाराष्ट्र से लेकर पूरे देश में फैल चुका है और इस पर राजनीति भी तेज हो गई है।
औरंगजेब को लेकर हो रहे इस विवाद के केंद्र में यह सवाल है कि इतिहास के एक हिस्से को किस तरह से देखा जाए। कुछ नेताओं का कहना है कि औरंगजेब का शासन भारत की समृद्धि का दौर था, जबकि अन्य औरंगजेब को एक अत्याचारी और क्रूर शासक मानते हैं। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी के नेता और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग औरंगजेब के पक्ष में बयान दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी जैसे संगठन उसकी निंदा कर रहे हैं।
यह विवाद राजनीति और इतिहास को जोड़ते हुए एक नया मोड़ ले रहा है। औरंगजेब पर दिए जा रहे बयान और उसके खिलाफ की जा रही कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि देश में अब भी इतिहास को लेकर बहस जारी है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का क्या असर राजनीति, समाज और धर्म पर पड़ेगा, और यह विवाद कब तक चलता रहेगा।
ये भी पढ़ें- भर्ती बोर्ड के चैयरमैन और अभ्यर्थी के सपने में आये पवनसुत हनुमान, कही ये अनोखी बात