KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी मुखबा और हर्षिल दौरे के दौरान जादूंग घाटी में विश्व के दूसरे सबसे ऊंचे ट्रेक जनकताल और नीलापानी घाटी में मुलिंगना पास का शिलान्यास करेंगे। इन दोनों ट्रेक की शुरुआत से 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हो चुकी इन घाटियों में अब पर्यटन के नए द्वार खुलने की उम्मीद है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों को लद्दाख की तर्ज पर विकसित किया जाएगा, जिससे यहां साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
1962 के युद्ध के बाद नेलांग, जादूंग और सोनम घाटी को छावनी में तब्दील कर दिया गया था, और इन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों और पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। अब प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद इन क्षेत्रों में पर्यटन को फिर से गति देने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। भौगोलिक स्थिति के आधार पर इन घाटियों को लद्दाख की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई गई है, ताकि यह स्थान साहसिक पर्यटन का हॉटस्पॉट बन सके।
जादूंग-जनकताल और नीलापानी-मुलिंगना पास पर ट्रेक शुरू होगा
जिला प्रशासन इन दोनों ट्रेक को शुरू करने की तैयारियों में जुटा हुआ है। डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि उनका प्रयास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दौरे के दौरान इन ट्रेक का शुभारंभ कर, नेलांग-जादूंग घाटी में साहसिक पर्यटन को नया आयाम दें। ये ट्रेक साहसिक पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन सकते हैं, और इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भी इजाफा हो सकता है।
इसके साथ ही, नेलांग और जादूंग गांव को बसाने के लिए वाइब्रेंट योजना के तहत होम स्टे निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है। इस योजना का उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना और पर्यटकों के लिए स्थायी आवास उपलब्ध कराना है। इससे इन गांवों का समग्र विकास हो सकेगा और यहां के निवासियों को अपनी पारंपरिक जीवनशैली के साथ आधुनिक विकास के लाभ भी मिलेंगे।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रयास
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा स्थानीय पर्यटन को एक नई दिशा देने का काम करेगा। जादूंग घाटी और मुलिंगना पास जैसे स्थान अब साहसिक पर्यटन के लिए प्रमुख गंतव्य बन सकते हैं। इन ट्रेक्स की शुरुआत से जहां पर्यटकों को एक नई साहसिक यात्रा का अनुभव मिलेगा, वहीं स्थानीय समुदाय को भी इससे आर्थिक लाभ होगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने का एक तरीका है, बल्कि यह भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी विकास और कनेक्टिविटी को भी सुनिश्चित करेगा।
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