पीएम मोदी के यूएस दौरे का असर, क्या डिपोर्टेशन पर बदलेगा ट्रंप प्रशासन का रुख?

KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय अमेरिका यात्रा शुक्रवार को समाप्त हो चुकी है, और इस दौरान जहां एक ओर दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण चर्चाओं और समझौतों का दौर चला, वहीं दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासी भारतीयों की वापसी की तैयारी में था। इस बार का जत्था भारत लौटने वाला है, और उनका स्वागत अमृतसर एयरपोर्ट पर रात 10 से 11 के बीच किया जाएगा। इस फ्लाइट में कुल 119 लोग होंगे, जिनमें से अधिकतर पंजाब के हैं। इसके अलावा, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से भी कुछ लोग शामिल हैं।

पहला जत्था: 5 फरवरी को अमृतसर आया था

5 फरवरी को अमेरिका से पहला जत्था अमृतसर पहुंचा था, जिसमें 104 भारतीय नागरिकों को सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर भेजा गया था। इस अमानवीय तरीके से भेजे गए प्रवासियों के प्रति भारत में व्यापक असहमति और विरोध हुआ था। भारतीय नागरिकों के साथ इस तरह के व्यवहार की निंदा की गई थी, और विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की कूटनीति पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि उन्हें सैन्य विमान में इतनी क्रूर परिस्थितियों में भेजा गया हो।

पीएम मोदी के दौरे का असर?

संसद में हंगामे और आलोचनाओं के बाद भारतीय सरकार ने इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत की थी। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान इस मुद्दे को भी उठाया गया था। अब सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी की ट्रंप प्रशासन से हुई मुलाकात का असर डिपोर्टेशन प्रक्रिया पर पड़ेगा? क्या भारतीय नागरिकों को इस बार सैन्य विमान में नहीं भेजा जाएगा, और क्या उन्हें सामान्य फ्लाइट से भेजने की व्यवस्था होगी?

इस विषय पर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी के दौरे का सकारात्मक असर इस मामले पर दिख सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो यह एक बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी, जहां दोनों देशों के बीच सहयोग और समझौते के बाद प्रवासी भारतीयों के अधिकारों का भी सम्मान किया जाएगा।

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन के मामले में यह देखना अब दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार और ट्रंप प्रशासन इस मुद्दे पर किस तरह से कदम उठाते हैं। क्या भारत और अमेरिका के बीच मोदी की मेज़बानी और गर्मजोशी से बनी दोस्ती का असर इस मामले पर दिखेगा? या फिर यह मामला पहले जैसा ही रहेगा? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिल सकता है, लेकिन भारतीय नागरिकों के लिए एक उम्मीद जरूर जागी है कि उन्हें इस बार मानवाधिकारों का सम्मान मिलेगा।

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