ममता कुलकर्णी ने पद से इस्तीफा देते हुए बड़ा खुलासा किया कि उनसे महामंडलेश्वर बनने के लिए 2 लाख रुपये मांगे गए थे। उन्होंने कहा— “मेरे सामने तीन-चार महामंडलेश्वर और जगतगुरु बैठे थे, जब मुझसे 2 लाख रुपये मांगे गए। मैंने साफ मना कर दिया कि मेरे पास पैसे नहीं हैं।”
इसके बाद महामंडलेश्वर जय अम्बा गिरी ने अपनी जेब से 2 लाख रुपये निकालकर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए। ममता ने आगे कहा कि उनके बारे में यह अफवाह फैलाई जा रही है कि उन्होंने 3-4 करोड़ रुपये दिए, जो पूरी तरह निराधार है।
ममता कुलकर्णी ने बताया कि वह 1996 से ही भक्ति और साध्वी जीवन की राह पर चल पड़ी थीं। उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर बनने से पहले चार जगतगुरुओं ने उनकी कड़ी परीक्षा ली थी। परीक्षा में पूछे गए सवालों के जरिए उन्होंने साबित किया कि उन्होंने काफी घोर तपस्या की है।
महामंडलेश्वर पद को लेकर किन्नर अखाड़े में विवाद
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर किन्नर अखाड़े में भारी विरोध हुआ था। कई संतों और अखाड़े के सदस्यों ने इस फैसले पर नाराजगी जताई और सवाल खड़े किए। इसी विवाद को देखते हुए ममता ने पद छोड़ने का फैसला किया।
ममता कुलकर्णी ने कहा— “यह पद पैसों से नहीं मिलता, बल्कि घोर तपस्या और ध्यान से मिलता है। मैंने जो भक्ति और तपस्या की है, उसके कारण ही मुझे महामंडलेश्वर पद मिला था, लेकिन मैं अब इस पद से इस्तीफा दे रही हूं।”
महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने के बावजूद ममता कुलकर्णी ने स्पष्ट किया कि वह आगे भी भक्ति मार्ग पर चलती रहेंगी। उन्होंने कहा कि वह किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहतीं और अपना जीवन भक्ति और ध्यान में ही व्यतीत करेंगी।
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