KNEWS DESK- भारत का इतिहास गौरवशाली, शौर्य और ज्ञान से समृद्ध रहा है। सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज की दूरदर्शितापूर्ण नीतियां, प्रबंधन और पुरुषार्थ भारत के गौरवशाली इतिहास को परिलक्षित करते हैं। उन महापुरुषों के कालखंड में नैतिक सत्ता हुआ करती थी। भारतीय इतिहास में परमार वंश की व्यापक प्रतिष्ठा थी। काल के प्रवाह में प्रतिष्ठा को विलोपित करने का षड्यंत्र रचा गया। समाज की प्रतिष्ठा को पुनः विश्वमंच पर स्थापित करने के लिए सामाजिक चेतना के स्वाभिमान के साथ जागरण की आवश्यकता है। समाज के महापुरुषों के पुरुषार्थ को समझकर उनके जीवन आदर्शों और मूल्यों को आत्मसात् करना होगा। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने भोपाल स्थित गुफा मंदिर के मानस भवन में “राजा भोज पंवार (परमार) समाज संगठन भोपाल” के स्नेह सम्मेलन एवं प्रतिभा सम्मान समारोह में कही।
मंत्री परमार ने समाज के ऐतिहासिक परम वैभव की पुनर्प्राप्ति के लिए स्वत्व के भाव के साथ सामाजिक चेतना जागृति के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। परमार ने कहा कि सनातन समाज को कभी किसी की नकल करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। हमारा समाज प्रकृति पूजक एवं सूर्य उपासक रहा है। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति और ऊर्जा स्रोतों को संरक्षण के लिए कृतज्ञता के भाव के साथ परंपराओं और मान्यताओं से समृद्ध किया। पूर्वजों द्वारा स्थापित परम्पराओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। इसे पुनः शोध कर युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है।
उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विविध उपलब्धि अर्जित करने बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने प्रतियोगी परीक्षाओं, खेलकूद एवं अन्य विधाओं में समाज को गौरवान्वित करने वाले परमार समाज के विभिन्न सामाजिक व्यक्तित्व एवं मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन किया। परमार ने सभी सम्मानित सामाजिक व्यक्तित्व एवं मेधावी विद्यार्थियों को बधाई एवं उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दीं। समारोह में अध्यक्ष परमार समाज धर्मशाला नेमावर देवी सिंह परमार एवं परमार समाज के बंधु-भगिनी सहित प्रतिभावान बेटे-बेटियां उपस्थित थे।
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