Knews India, उत्तराखंड के 100 निकायों में शहर की सरकार बन चुकी है। बता दें कि करीब एक साल तक प्रशासकों के हवाले रहे निकायों में तमाम समस्याओं का अंबार लगा है। शहरों में डोर-टू-डोर कूड़ा निस्तारण बड़ी समस्या बन चुका है। उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम देहरादून की बात करें तो यहां 47 वार्डों में पिछले कुछ दिनों से समय से डोर-टू-डोर कूड़े का निस्तारण न होने से लोग परेशान हैं। कूड़ा निस्तारण के अनुबंधित कंपनी की ओर से वाहन चालकों और हेल्परों का वेतन समय पर न दिए जाने के साथ ही अनुबंधित वाहनों का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। हालांकि देहरादून नगर आयुक्त के आदेश के बाद कूड़ा निस्तारण के लिए अनुबंधित इकॉन वाटरग्रेस मैनेजमेंट सर्विस कंपनी के खिलाफ कोतवाली देहरादून में तहरीर दी है। आरोप है कि कंपनी समय पर कर्मचारियों का तनख्वाह नहीं दे रही है साथ ही कर्मियों को गाइडलाइन के अनुसार बूट, ग्लब्स और वर्दी आदि सुविधाएं भी प्रदान नहीं की जा रही हैं। प्रदेश के कई नगर निकायों में पार्किंग, शौचालय, ड्रेनेज सिस्टम, बिजली, पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट, जमीनों पर अवैध कब्जे, हाउस टैक्स समेत अलग-अलग समस्याएं हैं। देखना होगा कि शहर की सरकार गठित होने के बाद नवनिर्वाचित मेयर, पार्षद, पालिकाध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष कितनी समस्याओं का समाधान करेंगे। पक्ष या विपक्ष दोनों ही पार्टियों के नेता हालांकि कूड़ा निस्तारण की गंभीर समस्या को प्राथमिकता के साथ हल करने की बात कह रहे हैं। शहरों की तमाम समस्याओं को लेकर करेंगे
उत्तराखंड में हुए नगर निकाय के चुनावों में एक निर्दलीय को छोड़कर 10 निगमों में भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए हैं। ऐसे में अब प्रदेश के बड़े निकाय कहीं न कहीं ट्रिपल इंजन सरकार बना चुके हैं। ट्रिपल इंजन की सरकार में भी तमाम समस्याएं नगर निकायों में देखने को मिल रही है। शपथ ग्रहण समारोह के साथ अब निकायों को नया बोर्ड मिल चुका है। स्मार्ट सिटी देहरादून के अधूरे कामों से भी शहर में जगह-जगह आ रही समस्याओं से लोग परेशान हैं। विपक्ष कूड़ा निस्तारण को लेकर नगर निगम प्रशासन को आड़े हाथ ले रहा है। 100 नगर निकायों में अलग-अलग समस्याओं का अंबार लगा है। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के अनुसार पुरानी बातों को छोड़कर सभी को नगरों के विकास के लिए मिलकर कार्य करना होगा। वहीं, यूकेडी ने नए नगर निगम बोर्ड में पिछले कार्यकाल में हुए घाटाले और कमियों के न होने की उम्मीद जताई।
शहर की सरकार गठित होने के बाद तमाम समस्याओं के निस्तारण का दावा नवनिर्वाचित प्रतिनिधि जरूर कर रहे हैं, लेकिन जब तक समस्याएं हल न हुई तब तक कुछ नहीं कहा सकता है। सबसे बड़े नगर निगम देहरादून के नवनिर्वाचित मेयर सौरभ थपलियाल के अनुसार उनका फोकस शहर की पार्किंग और डेªनेज सिस्टम, ग्रीन और स्वच्छ दून पर रहेगा। शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाया जाएगा और हर वार्ड का सर्वांगीण विकास उनकी प्राथमिकता रहेगी। शपथ ग्रहण के बाद पौधरोपण भी किया गया और दून को स्वच्छ और सुंदर बनाने का संदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि नगर निगम की देहरादून की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। जो संकल्प हमने चुनाव के दौरान लिए थे उन पर कार्य किया जाएगा। जनता के सहयोग से सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
उत्तराखंड में निकाय चुनाव के बाद तमाम समस्याओं के निराकरण की उम्मीद जग रही है। नगर निकायों में सबसे बड़ी कूड़ा निस्तारण और साफ-सफाई की समस्या के समाधान की संभावना भी नए बोर्ड गठन से जग रही है। हालांकि अभी निर्वाचित नेताओं को अपने-अपने निकाय के कार्यों को समझने में समय लगेगा, लेकिन कहीं न कहीं शहर की सरकार के गठन से आमजन की तमाम उम्मीदें जग गई हैं। राजधानी देहरादून की रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों की हालत में सुधार की उम्मीद भी नए नगर निगम बोर्ड से जताई जा रही है। उत्तराखंड में बड़े निकायों में भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार है। श्रीनगर नगर निगम को छोड़ दें तो 10 नगर निगमों में भाजपा के प्रत्याशी जीतकर आए हैं और शपथ ग्रहण कर अब निगमों का कार्यकाल शुरू हो गया है। देखना होगा कि शहरों की नई सरकार किस तरह शहरवासियों की समस्याओं का समय से समाधान करती हैं।