विपक्ष के सवाल राष्ट्रीय खेलों में ‘फिक्सिंग’ पर बवाल ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में हो रहे राष्ट्रीय खेलों में पदक के लिए पैसे लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। 38वें राष्ट्रीय खेलों के ताइक्वांडो प्रतियोगिता के 10 भार वर्गों के परिणाम पहले ही तय करने के आरोप लगने के बाद डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन (डीओसी) को हटाया दिया गया। इसके बाद अब 18 रेफरी और 30 कोच भी हटाए गए हैं। 16 भार वर्गों में से 10 भार वर्गों के गोल्ड, ब्रॉन्ज और सिल्वर मेडल बेचने का मामला सामने आया था। दूसरी ओर हटाए गए डी ओ सी टी. प्रवीण कुमार के अनुसार, मेरे खिलाफ न कोई दस्तावेजी साक्ष्य है, न फोटोग्राफ और न ही कोई वीडियो या वॉयस रिकार्डिंग। मेरी कोई बात किसी एथलेटिक्स या अधिकारी से नहीं हुई। बेबुनियाद आरोपों के आधार पर कार्रवाई मेरे लिए बहुत दर्दनाक है, इससे मेरा परिवार बहुत दबाव में है। 38वें राष्ट्रीय खेलों की ताइक्वांडो प्रतियोगिता शुरू होने से पहले ही विवादों में है। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रही भाजपा सरकार पर विपक्ष पहले ही अव्यवस्थाओं का आरोप लगा रहा है और अब मेडल बेचने के आरोप से मामला और गर्मा गया है। अल्मोड़ा में सही व्यवस्थाएं न होने से खिलाड़ी बीमार पड़ गए हैं। वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद उत्तराखंड खेल निदेशालय से लेकर खेल संघों तक में चर्चा है कि आखिर पदकों की फिक्सिंग कैसे हो सकती है, यह स्पष्ट होना चाहिए। जिन जगहों पर खेल प्रतिस्पर्धाएं हो रही हैं, वहां वीडियो कैमरे हर एंगल से पल-पल रिकॉर्डिंग कर रहे हैं, चयन के लिए एक पूरी प्रक्रिया निर्धारित है। पदकों की फिक्सिंग के आरोप के बाद डीओसी के खिलाफ कार्रवाई से पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा हो गया है। वहीं, देशभर के विभिन्न राज्यों से आए रेफरी और कोच कह रहे हैं कि बताए बिना ही सूची से उनका नाम हटा दिया गया है।

उत्तराखंड में इस बार 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन किए जा रहे हैं। 28 जनवरी से शुरू हुए ये राष्ट्रीय खेल 14 फरवरी तक आयोजित होने हैं। कई खेलों में अव्यवस्थाओं और बाहरी खिलाड़ियों को खिलवाने के आरोप भी लग रहे हैं। वहीं, ताइक्वांडो खेल इवेंट के 10 भार वर्गों में तो मेडल तक फिक्स करने की बात सामने आई है। इसके बाद इन खेलों को करवाने वाले डीओसी के बाद अब 18 रेफरी और 30 कोच तकनीकी आचरण समिति ने हटा दिए हैं। आरोप है कि डीओसी ने गोल्ड मेडल के लिए तीन लाख, रजत पदक के लिए दो लाख और कांस्य पदक के लिए 1 लाख रुपये की मांग की थी। हालांकि हटाए गए डीओसी इन सभी आरोपों को पूरी तरह से नकार चुके हैं। वहीं, नए डीओसी के अनुसार वह नियमों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। पारदर्शी तरीके से सभी इवेंट आयोजित किए जा रहे हैं। वहीं, सूत्रों के अनुसार इस आरोप के बाद जांच में आईएएस और आईपीएस स्तर के अधिकारी शामिल हैं, उन्हें कुछ तो मिला होगा, जिसके आधार पर डीओसी को हटाया गया, लेकिन पदकों की फिक्सिंग की बात गले नहीं उतरती। अन्य आरोपों के तथ्य खंगाले जा सकते हैं, लेकिन खिलाड़ी और पदकों के स्तर पर फिक्सिंग की कोई संभावना नहीं है। ताइक्वांडो में दो संगठनों के बीच विवाद कोर्ट तक पहुंचा है, इसलिए दूसरे एंगल से भी जांच की जा रही है। दूसरी ओर विपक्ष इसे गंभीर मामला बता रही है और अव्यवस्थाओं को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ताइक्वांडो खिलाड़ी आयोजन स्थल पर इसका विरोध भी कर रहे हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि बिना कोच के वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। वह इसके विरोध में नारे भी लगा रहे हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 28 जनवरी को पीएम मोदी ने 38वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन किया था। राष्ट्रीय खेलों में और तो सब ठीक चल रहा है लेकिन ताइक्वांडो खेल को लेकर तमाम आरोप लग रहे हैं। एक दिन पहले से हल्द्वानी में इस खेल के इवेंट शुरू हो चुके हैं। आयोजन से ठीक कुछ दिन पहले से ताइक्वांडो खेलों के 10 भार वर्गों में मेडल फिक्सिंग के आरोप लग गए। इसके बाद डीओसी और रेफरी-कोच हटाने की खबरें सामने आ रही हैं। कहीं न कहीं ऐसे फिक्सिंग के आरोपों से देवभूमि की छवि धूमिल हो रही है। हालांकि मामले में दो ताइक्वांडो संगठनों में विवाद की बात भी सामने आ रही है। विपक्ष भी आयोजनों में हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठा रहा है। वहीं, भाजपा के अनुसार प्रदेश में भव्य तरीके से राष्ट्रीय खेलों के आयोजन हो रहे हैं। पीएम मोदी से लेकर सीएम धामी तक खेलों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। आरोपों की पारदर्शी तरीके से जांच की जा रही है। जिन पर आरोप लग रहे हैं उन्हें हटाया जा रहा है।

देवभूमि उत्तराखंड इस बार 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहा है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खेलों के अलग-अलग इवेंट हो रहे हैं। प्रदेश के कई खिलाड़ी जहां उनकी जगह बाहरी प्रदेश के खिलाड़ियों को टीम में जगह देने के आरोप लगा रहे हैं, वहीं ताइक्वांडो खेल में फिक्सिंग के आरोप लग रहे हैं। हालांकि आयोजन से पहले ही कैसे कोई मैच फिक्स कर सकता है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। हालांकि फिलहाल डीओसी के साथ ही कई रेफरी और कोच को बिना पूर्व सूचना को हटा दिया गया है। कई रेफरी और कोच बाहरी राज्यों से उत्तराखंड भी पहुंच चुके हैं और अब अपना नाम लिस्ट में न होने वह परेशान हैं और हंगामा भी कर रहे हैं। देखना होगा कि मामले में क्या वाकई फिक्सिंग हुई है या बिना किसी पुख्ता सबूत के ही इतने सारे आरोप लगाए जा रहे हैं। फिलहाल मामले में जांच जारी है।