2022 चुनाव में परंपरा टूटेगी या फिर मिथक
उत्तराखंड राज्य को बने 21 साल हो चुके हैं, बीते 21 सालों की बात करें तो राज्य ने कुछ खास उपलब्धि हांसिल नहीं की। अब जनहित में तो कोई खास काम नहीं हुआ, लेकिन छोटे से राज्य में मुख्यमंत्रियों के बदलने का सिलसिला जरूर देखने को मिला। आलम ये है कि अबतक 11 मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं। इसके साथ ही अभी तक केवल एक ही मुख्यमंत्री स्व नारायण दत्त तिवारी ही पांच साल के कार्यकाल को पूरा कर पाए। माना जा रहा है कि एकाएक मुख्यमंत्रियों के बदलने से राज्य का विकास नहीं हो पाया है। साल 2017 में जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर बैठाया लेकिन मौजूदा सरकार में भी तीन मुख्यमंत्री देखने को मिले। वहीं उत्तराखंड में एक मिथक भी देखने को मिला है कि एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की सरकार बनती है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या 2022 में भी ये परंपरा टूटेगी या फिर ये मिथक।
- साल 2000 में उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई
- पहले मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के नित्यानंद स्वामी बने सीएम
- 354 दिन में ही नित्यानंद स्वामी को हटा दिया गया
- भगत सिंह कोश्यारी को सत्ता सौंप दी गई
- कोश्यारी ने सिर्फ 123 दिन तक सत्ता संभाली
- चुनाव में उतरे कोश्यारी पार्टी को जीत नहीं दिला सके
- कांग्रेस पार्टी ने सत्ता की बागडोर एनडी तिवारी के हाथों में दी
- मात्र तिवारी ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया
- 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार
- कांग्रेस को उखाड़कर भाजपा ने सत्ता में वापसी की
- बीसी खंडूरी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया
- 839 दिन के बाद ही खंडूरी को पद से हटाया गया
- उनकी जगह रमेश पोखरियाल निशंक को बनाया सीएम
- तीसरा विधानसभा चुनाव आने से पहले निशंक विवादों में घिरे
- भाजपा ने फिर से खंडूरी को सीएम बनाया
- भाजपा 2012 विधानसभा चुनाव फिर से हार गई
- कांग्रेस सत्ता में लौटी, राज्य की बागडोर विजय बहुगुणा को मिली
- बहुगुणा 690 दिन तक उत्तराखण्ड के सीएम रहे
- बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को सीएम बनाया गया
चौथे विधानसभा चुनाव के बाद हुए कई बदलाव
चौथे विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आई और त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया, 1453 दिन के कार्यकाल के बाद उन्हें कुर्सी से हटा दिया और बीते मार्च में तीरथ सिंह रावत को कमान दी गई, जो सबसे कम समय तक 116 दिन मुख्यमंत्री रहे, अब 11वें मुख्यमंत्री के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी दी गई है। बीजेपी का दावा है कि राज्य का विकास सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है और 2022 में भी बीजेपी की सरकार बनेगी। अब बीजेपी अपनी ओर से जरूर जीत के दावे कर रही है लेकिन कांग्रेस मिथक को देखते हुए भी काफी आश्वस्त लग रही है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि राज्य का विकास सिर्फ कांग्रेस के शासनकाल में हो सकता है। जनता 2022 में बीजेपी को जरूर सबक सिखाने जा रही है वहीं इस बार आम आदमी पार्टी उत्तराखंड की चुनावी पिच पर अपने दिल्ली मॉडल को लेकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार दिखाई दे रही है, लेकिन अब तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी बहुत तेजी से उत्तराखंड में अपनी जड़ें जमाने में लगी है। आम आदमी पार्टी के नेता कर्नल अजय कोठियाल का दावा है कि जनता ने बीजेपी कांग्रेस को देख लिया है। लेकिन 2022 में जनता दोनों दलों को सबक सिखाने जा रही है और आप पार्टी को पूरी ताकत से जीत दिलाने जा रही है।
उत्तराखण्ड को मिले 11 सीएम मिले
कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तराखंड का यह दुर्भाग्य रहा है कि राज्य में एकाएक 11 मुख्यमंत्री देखने को मिले। हर सरकार के राज में राजनेताओँ की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रही यही वजह है कि अभी तक एक ही मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाए। ऐसे में सवाल ये है कि क्या राज्य के अविकसित होने के पीछे मुख्यमंत्रियों का बदलना सबसे बड़ी वजह है। क्या 2022 में एक बार फिर मिथक काम करेगा। ऐसे अनगिनत सवाल है जिसके जवाब का सबको इंतजार है।