KNEWS DESK- वक्फ विधेयक को लेकर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सांसदों के सुझाए गए सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि उनकी आपत्तियों और सुझावों को नजरअंदाज कर दिया गया और इस पूरी प्रक्रिया में लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन किया गया है।
विपक्ष का आरोप – लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट किया गया
विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नकारा गया, ऐसा आरोप टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने लगाया। उनका कहना था कि समिति की बैठकों में उनकी बातों को सुना ही नहीं गया और समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से फैसले ले रहे थे। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया, यह कहते हुए कि इसका कोई लोकतांत्रिक आधार नहीं था।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि वे जो संशोधन लेकर आए थे, उन्हें जानबूझकर खारिज कर दिया गया। उनका मानना है कि यदि उनके सुझावों पर विचार किया गया होता, तो विधेयक में और बेहतर बदलाव किए जा सकते थे।
जगदंबिका पाल का बचाव – पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक रही
हालांकि, जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और सभी फैसले बहुमत के आधार पर लिए गए हैं। उनका दावा था कि विधेयक में किए गए बदलावों से एक बेहतर और प्रभावशाली कानून बनेगा, जो देश के लिए फायदेमंद साबित होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि समिति ने विधेयक में आवश्यक बदलाव किए हैं, और यह विधेयक किसी खास पक्ष को फायदा पहुंचाने वाला नहीं है। उनके अनुसार, जेपीसी ने सभी सुझावों पर गहराई से विचार किया, और यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और ईमानदारी से की गई।
वक्फ विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के प्रशासन में सुधार करना और अधिक पारदर्शिता लाना है। विधेयक के तहत, वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए नए प्रावधानों की उम्मीद की जा रही है, जिससे विवादों का निपटारा बेहतर तरीके से हो सके।
हालांकि, इस विधेयक को लेकर राजनीति भी गर्माई हुई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्डों पर ज्यादा नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास कर रही है, जो उनकी स्वायत्तता पर सवाल खड़े करता है। वहीं, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
ये भी पढ़ें- उत्तराखंड ने इतिहास रचा, समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना