KNEWS DESK – पंजाबी सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पंजाब 95’ इन दिनों चर्चा में है। यह फिल्म पंजाब के मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा की जिंदगी पर आधारित है। हालांकि, फिल्म की रिलीज को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। फिल्म, जो 7 फरवरी 2025 को रिलीज होने वाली थी, अब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के साथ चल रहे विवादों के चलते टाल दी गई है।
कौन थे जसवंत सिंह खालरा?
जसवंत सिंह खालरा एक समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक में पंजाब में हुईं कथित पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने आतंकवाद के नाम पर हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया और फर्जी एनकाउंटर में मार दिया।
खालरा ने यह भी आरोप लगाया कि इन युवाओं के शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी रिपोर्ट्स ने सरकार और प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद का दौर
जसवंत सिंह खालरा ने यह खुलासा ऐसे समय में किया जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार, सिख विरोधी दंगे, और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब में भारी उथल-पुथल मची थी। इस दौरान पुलिस ने कई फर्जी एनकाउंटर किए, जिनमें कई निर्दोष लोग मारे गए।
जसवंत सिंह खालरा की हत्या
खालरा की मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। 6 सितंबर 1995 को, जब वह अपने घर के बाहर कार धो रहे थे, कुछ अज्ञात लोग उन्हें जबरन ले गए। इसके बाद डेढ़ महीने तक उनका कोई पता नहीं चला। 27 अक्टूबर 1995 को उनका शव सतलुज नदी में मिला। यह माना जाता है कि उनकी हत्या उनके मानवाधिकार अभियानों के चलते हुई।

फिल्म ‘पंजाब 95’ पर रोक क्यों लगी?
दिलजीत दोसांझ की यह फिल्म जसवंत सिंह खालरा की जिंदगी और उनके संघर्ष को दिखाती है। हालांकि, CBFC ने फिल्म पर आपत्ति जताई है। शुरुआत में बोर्ड ने फिल्म में 120 कट्स की मांग की थी, जिससे मेकर्स असहमत थे। फिल्म में दिखाए गए पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक हालात के कारण विवाद गहराता गया।

दिलजीत दोसांझ ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में यह जानकारी दी कि फिल्म अब 7 फरवरी 2025 को रिलीज नहीं हो रही है। उन्होंने फैंस को बताया कि मेकर्स इस विवाद को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं।
जसवंत सिंह खालरा की कहानी क्यों महत्वपूर्ण है?
खालरा की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के संघर्ष की नहीं, बल्कि उन हजारों सिख युवाओं और उनके परिवारों की आवाज है, जो न्याय के लिए आज भी इंतजार कर रहे हैं। यह फिल्म न केवल उनकी बहादुरी को दर्शाती है, बल्कि एक ऐसे दौर को भी उजागर करती है, जिसे अक्सर इतिहास के पन्नों में अनदेखा कर दिया गया।