KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। पहले यह दिन निर्बंधित अवकाश की सूची में था, लेकिन अब इसे पूर्ण सार्वजनिक अवकाश बना दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के विशेष सचिव जुहैर बिन सगीर ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
बता दें कि मकर संक्रांति हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पंडित प्रशांत द्विवेदी के अनुसार, मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 6:58 बजे से शुरू होगा और 15 जनवरी को सुबह 6:58 बजे तक रहेगा। इस अवधि में दान-पुण्य, स्नान और अन्य धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। पंडित द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष का मुहूर्त अत्यंत शुभ है, और इस पुण्यकाल में सूर्य को जल अर्पित करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी की परंपरा
मकर संक्रांति के अवसर पर खासतौर पर खिचड़ी पकाने और परोसने की परंपरा है, जो न केवल स्वाद से जुड़ी है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दिन विभिन्न सामाजिक संगठन खिचड़ी भोज का आयोजन करते हैं और मंदिरों में भी खिचड़ी वितरण की व्यवस्था की जाती है। लखनऊ के प्रसिद्ध दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, अमीनाबाद स्थित ब्रह्मेश्वर शनि मंदिर समेत अन्य मंदिरों में खिचड़ी बांटी जाएगी।
लखनऊ में पारंपरिक खिचड़ी को खास बनाने के लिए इसमें हरी सब्जियां, मसाले और तिल का तड़का लगाया जाता है। हजरतगंज के शेफ अमित शुक्ला बताते हैं कि लखनवी खिचड़ी में मूंग दाल और चावल के साथ गाजर, मटर और बथुआ डाला जाता है। इसके बाद तिल और घी डालने से इसका स्वाद दोगुना हो जाता है, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।
समारोह और सामुदायिक आयोजन
मकर संक्रांति के अवसर पर राज्यभर में अनेक मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों पर आयोजन होते हैं, जहां खिचड़ी का वितरण किया जाता है। इस दिन का सांस्कृतिक महत्व इतना है कि यह न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामूहिकता और एकजुटता का प्रतीक भी बन गया है। लोग एक-दूसरे को खिचड़ी और तिल गुड़ का प्रसाद देकर खुशी मनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं।