KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने राज्य विधानसभा का घेराव करने की घोषणा की है, जिसके बाद प्रदेश सरकार पूरी तरह से चौकस हो गई है। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए लखनऊ में कांग्रेस कार्यालय के बाहर रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवानों की तैनाती कर दी गई है। साथ ही कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को घर में नजरबंद किया जा रहा है, और जगह-जगह बैरिकेडिंग भी की गई है।
कांग्रेस नेताओं को नोटिस और पुलिस का पहरा
बता दें कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं के घरों पर पुलिस ने छापेमारी शुरू कर दी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राज्य सरकार की नीयत हमारे कार्यकर्ताओं को नुकसान पहुंचाने की है। उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ नुकीली बैरिकेडिंग की गई है, जो उन्हें गंभीर चोटें पहुंचा सकती हैं। भाजपा सरकार हमारे कार्यकर्ताओं को मारने की साजिश रच रही है।”
पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, पूर्व प्रदेश महासचिव अनिल यादव, और अन्य वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेजा है, जिसमें विधानसभा के तृतीय सत्र के दौरान घेराव को लेकर कड़ी चेतावनी दी गई है। नोटिस में कहा गया है कि किसी भी तरह का घेराव या शांति व्यवस्था भंग करने का प्रयास राज्य की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है और ऐसे में कठोर कार्रवाई की जाएगी। अजय राय और अन्य नेताओं ने पुलिस के इस रवैये की आलोचना की और कहा कि वह इस विरोध प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे। “भाजपा सरकार के खिलाफ हमारे विरोध का यह तरीका है। हम विधानसभा का घेराव करके ही रहेंगे,” राय ने कहा।
विधानसभा घेराव के लिए हजारों कार्यकर्ताओं का पहुंचना शुरू
कांग्रेस नेताओं का दावा है कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से हजारों कार्यकर्ता लखनऊ पहुंच चुके हैं। हालांकि, पुलिस प्रशासन की ओर से बैरिकेड्स लगाए गए हैं और कार्यकर्ताओं को विधानसभा के पास जाने से रोका जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उनके घरों पर छापे मार रही है और नोटिस चस्पा कर रही है, जिससे पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भयभीत हो गए हैं। पुलिस ने प्रमुख कांग्रेस नेताओं के घरों पर छापेमारी की और कई नेताओं को हिरासत में लिया है। इनमें शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमित श्रीवास्तव, पूर्व पार्षद शैलेंद्र तिवारी, और प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी शामिल हैं। साथ ही, कुछ नेताओं के घरों पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया है, ताकि वे विधानसभा घेराव में भाग न ले सकें।
घेराव का उद्देश्य भाजपा सरकार की नाकामी को उजागर करना
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने स्पष्ट किया कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य राज्य सरकार की नाकामी को उजागर करना है। उन्होंने कहा, “यूपी की भाजपा सरकार की ओर से जनता की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। हम इसे सत्ता के खिलाफ एक जन आंदोलन के रूप में देख रहे हैं। चाहे जितनी भी बाधाएं आएं, हम विधानसभा घेराव करके रहेंगे।”
राय ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, “जैसे मोदी सरकार ने किसानों को रोकने के लिए कांटों की दीवार खड़ी की थी, ठीक वैसे ही योगी सरकार ने हमारे कार्यकर्ताओं की राहों में कांटे बिछा दिए हैं। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। हम इन कांटों को फूल समझकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे।”
राज्य सरकार की स्थिति और आने वाली चुनौतियां
राज्य सरकार ने कांग्रेस के इस आंदोलन को गंभीरता से लिया है। पुलिस ने पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है, और विधानसभा क्षेत्र के आस-पास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी योजना को कितनी सफलतापूर्वक लागू कर पाती है और क्या वह अपने घेराव के उद्देश्यों को हासिल कर पाती है, या राज्य सरकार के दमनकारी उपायों के कारण उसे पीछे हटना पड़ता है।