KNEWS DESK – केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में देश में बढ़ रहे सड़क हादसों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ रही है, जिससे हमारी अंतरराष्ट्रीय छवि भी प्रभावित हो रही है। गडकरी ने कहा कि जब वह किसी वैश्विक सम्मेलन में जाते हैं और वहां सड़क हादसों के बारे में बात होती है, तो उन्हें अपना सिर झुका कर खड़ा होना पड़ता है, क्योंकि हमारे देश का सड़क हादसों का रिकॉर्ड बहुत खराब है।
भारत का सड़क हादसों का रिकॉर्ड सबसे खराब
गडकरी ने कहा, “दुनिया के कई देशों ने सड़क हादसों में कमी आ चुकी है। उदाहरण के लिए, स्वीडन में सड़क हादसों का आंकड़ा शून्य के पास पहुंच गया है, जबकि हमारे देश में हालात बिल्कुल उलट हैं। यहां हादसे बढ़ रहे हैं, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।”
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी, तो उनका लक्ष्य था कि 2024 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सके, लेकिन दुर्भाग्यवश, हादसों की संख्या बढ़ी है। गडकरी के मुताबिक, जब तक हम अपने नागरिकों के व्यवहार में बदलाव नहीं लाएंगे और सड़क सुरक्षा कानूनों का पालन नहीं करेंगे, तब तक स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।
कानून का पालन जरूरी है
गडकरी ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए समाज में कानून का पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि वह खुद भी एक सड़क हादसे का शिकार हो चुके हैं, जब वह अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा, लेकिन ईश्वर की कृपा से वह बच गए। गडकरी ने कहा, “मेरे पास सड़क हादसों का व्यक्तिगत अनुभव है, और इस अनुभव से ही मैं यह जानता हूं कि सड़क सुरक्षा में सुधार कैसे लाया जा सकता है।”
सड़क हादसों में बढ़ोत्तरी के कारण
गडकरी ने सड़क हादसों में बढ़ोत्तरी के कुछ मुख्य कारणों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ट्रकों को गलत तरीके से पार्क किया जाना, ट्रैफिक लेन में अनुशासन की कमी और बसों के निर्माण में मानकों का पालन न करना, इन सभी समस्याओं की वजह से हादसे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में कुछ निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके तहत बसों में खिड़की के पास हथौड़ा रखना अनिवार्य किया गया है, ताकि हादसे के समय शीशा तोड़ा जा सके और यात्रियों को बाहर निकाला जा सके।
भारत में सड़क हादसों के आंकड़े
भारत में सड़क हादसों के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 1.78 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें से 60 फीसदी मृतक 18-34 साल के युवा होते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और बेंगलुरु में हादसों के आंकड़े अत्यधिक हैं। उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 23,000 लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं, जो कि कुल मौतों का 13.7 प्रतिशत है। तमिलनाडु में यह आंकड़ा 18,000, महाराष्ट्र में 15,000 और मध्य प्रदेश में 13,000 के आसपास है। दिल्ली में हर साल लगभग 1400 लोग और बेंगलुरु में 915 लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं।
नितिन गडकरी का संदेश
गडकरी ने कहा कि जब तक हम सड़क सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करेंगे, तब तक हादसों को नियंत्रित करना मुश्किल होगा। सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस दिशा में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन समाज की ओर से पूरी तरह से सहयोग मिलने पर ही सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है।
गडकरी ने नागरिकों से अपील की कि वे सड़क पर अनुशासन बनाए रखें, ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सड़क सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाएं, ताकि हम सड़क हादसों की संख्या में कमी ला सकें और भारत की सड़क सुरक्षा की स्थिति में सुधार कर सकें।