KNEWS DESK- पंजाब के किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान किसान लगातार दिल्ली की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए हरसंभव उपाय किए हैं। 6 दिसंबर को किसानों ने फिर से आगे बढ़ने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अब, किसान फिर से अपनी मांगों के लिए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
किसानों की आगे बढ़ने की कोशिश और पुलिस का विरोध
किसानों ने जब शंभू बॉर्डर से आगे बढ़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान एक किसान ने बॉर्डर पर लगी जाली में कुंडी फंसाकर तोड़ने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने तत्काल काबू किया। इसके बाद किसानों को पीछे हटने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद किसानों ने अपनी मांगों के लिए आगे बढ़ने का मन बनाए रखा है।
किसानों को चाय-बिस्कुट का दिया गया पैगाम
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने किसानों को चाय और बिस्कुट भी दिए, ताकि वे शांत रहें और किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके। पुलिस ने यह कदम शांति बनाए रखने के लिए उठाया था, क्योंकि किसान अपनी मांगों के लिए अड़े हुए हैं और पुलिस भी उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
पुलिस ने किसानों से पहचान पत्र मांगे
हरियाणा पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर किसानों से उनके पहचान पत्र दिखाने की मांग की है। पुलिस का कहना है कि वह पहले किसानों की पहचान सुनिश्चित करना चाहती है, ताकि यह पता चल सके कि आंदोलन में शामिल लोग कौन हैं और क्या वे सही मायने में किसान हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि उनके पास 101 किसानों के नामों की सूची है, जो सामने नहीं आए हैं। इसके बावजूद, किसान अपनी पहचान न देने की जिद पर अड़े हुए हैं और बड़ी संख्या में भीड़ के रूप में दिल्ली की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
किसानों के संघर्ष की गंभीरता
यह आंदोलन पिछले कुछ महीनों से शांतिपूर्वक जारी है, लेकिन समय के साथ इसमें तनाव बढ़ता जा रहा है। किसानों की मुख्य मांगें केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों को वापस लेने और उनकी फसल की बेहतर कीमत सुनिश्चित करने की हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे शांतिपूर्वक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
इस संघर्ष ने न केवल पंजाब और हरियाणा बल्कि पूरे देश में कृषि और किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। वहीं, सरकार की ओर से कोई स्पष्ट हल नहीं निकला है, जिससे यह आंदोलन अभी भी जारी है।