उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव की तैयारी तेज हो गई है.भाजपा कांग्रेस ने इस दंगल को जीतने के लिए सभी नगर निगम और नगर पालिकाओं के लिए चुनाव प्रभारी घोषित कर दिए हैं..इसके साथ ही दोनों ही दल जीत का भी दावा करने लगे हैं। वहीं सत्ताधारी दल यानि कि बीजेपी की तैयारी अन्य दलों से काफी तेज है। और अब भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के उत्तराखंड प्रवास भी शुरू हो गये हैं। इसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री-संगठन बीएल संतोष ने देहरादून में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक लेते हुए कार्यकर्ताओं से निकाय चुनाव के लिए कमर कसने का आहवान किया है। कहा कि हमें विपक्ष ही नहीं बल्कि अपने पुराने चुनावी आंकड़ों को चुनौती मानते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। इसके साथ ही बीएल संतोष ने राज्य के कैबिनेट मंत्रियों से भी मुलाकात कर सरकार की योजनाओं का फीडबैक लिया। वहीं खबर ये भी है कि भाजपा प्रत्याशी चयन में गोपनीय सर्वे को आधार बनाने जा रही है। इसके साथ ही दून नगर निगम के मेयर पद के लिए प्रत्याशी का चयन भाजपा के लिए सिरदर्दी बन सकता है। क्योंकि निवर्तमान मेयर और वरिष्ठ नेताओं से लेकर कई युवाओं के नाम चर्चा में हैं। दावेदार की जमीनी तैयारी और मजबूती आंकने के लिए गोपनीय सर्वे का सहारा लिया जा रहा है। इस बीच भाजपा ने अपने संगठनात्मक चुनाव भी टाल दिये हैं.बता दें कि निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, छात्र संघ चुनाव, सहकारिता के चुनाव के बाद अब संगठनात्मक चुनाव भी भाजपा ने टाल दिये हैं। अब सवाल ये है कि क्या राजनीतिक दलों की इतनी तैयारी के बाद सरकार राज्य में निकाय और अन्य चुनाव कराएगी, आखिर क्यों सरकार निकाय चुनाव को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है।
उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव कब होंगे इसको लेकर सरकार अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है। धामी सरकार ने पिछले वर्ष दिसंबर 2023 में राज्य के करीब 102 नगर निकायों में प्रशासकों की तैनाती की थी इसके बाद कई बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के बाद भी सरकार इस स्थिति में नहीं आई है कि निकाय चुनाव कब होंगे….हालांकि सरकार के ऐलान से पहले भाजपा कांग्रेस के साथ ही तमाम दलों ने निकाय चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। भाजपा अपने विरोधी दलों से तैयारी के मामले में काफी आगे है। इसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री-संगठन बीएल संतोष ने देहरादून में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक लेते हुए कार्यकर्ताओं से निकाय चुनाव के लिए कमर कसने का आहवान किया है। साथ ही सरकार के कार्यों का फीडबैक भी लिया है।
आपको बता दें कि भाजपा सरकार निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, छात्र संघ चुनाव और सहकारिता के चुनाव टाल चुकी है। वहीं भाजपा ने अपने संगठनात्मक चुनाव भी टाल दिये हैं। विपक्ष का आरोप है कि सत्ताधारी दल हार के डर से तमाम चुनाव नहीं करा रहा है। इस बीच खबर है कि सरकार पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ भी करा सकती है। वहीं भाजपा-कांग्रेस ने सभी नगर निगम और नगर पालिकाओं के लिए चुनाव प्रभारी भी घोषित कर दिए हैं..दोनों ही दल जीत के भी दावे करने लगे हैं।
कुल मिलाकर सरकार के स्तर से भले ही आगामी चुनावों को लेकर स्थिति स्पष्ट ना हो लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी तैयारी तेज कर दी है। केदारनाथ उपचुनाव से उत्साहित भाजपा निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने पर भी विचार कर रही है. हालांकि ये चुनाव कब होंगे इसकी स्थिति अब तक साफ नहीं हो पाई है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार अब तक चुनाव कराने की स्थिति में नहीं आई है।