महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? महायुति में सीएम पद को लेकर जारी है सस्पेंस

KNEWS DESK-  महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, और यह सवाल अब देशभर में ट्रेंड कर रहा है। महायुति के भीतर सीएम पद को लेकर मतभेद और खींचतान ने राजनीति के इस खेल को और रोमांचक बना दिया है। हालांकि, अभी तक मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हुआ है, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय तय हो गए हैं। महायुति के नेताओं ने घोषणा की है कि शपथ ग्रहण 5 दिसंबर को होगा, और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे।

भाजपा को मिलेगा मुख्यमंत्री पद

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भाजपा यानी भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद मिलेगा। हालांकि, इसके बाद भी इस पद को लेकर अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। महायुति गठबंधन में बीजेपी के अलावा शिवसेना और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) भी शामिल हैं, और इन दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है।

एकनाथ शिंदे की नाराजगी

इस समय एकनाथ शिंदे की गतिविधियाँ राज्य की राजनीति में सबसे अधिक चर्चा में हैं। शनिवार को एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव सतारा चले गए, जहां उनकी तबीयत खराब होने की खबर आई। बताया जा रहा है कि शिंदे महायुति की अंदरूनी बातचीत से नाराज हैं, खासकर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही स्थिति से। उन्होंने अब तक सीएम पद को लेकर पूरी तरह से हाथ नहीं खींचा है और कई शर्तें रख दी हैं, जिनका पालन किए बिना भाजपा के लिए फैसला करना मुश्किल हो रहा है।

अजित पवार का बयान

एनसीपी के प्रमुख अजित पवार ने कहा है कि दिल्ली में हुई बैठक में यह तय हुआ था कि महायुति भाजपा के मुख्यमंत्री के साथ सरकार बनाएगी, जबकि अन्य दोनों दलों के पास उपमुख्यमंत्री के पद होंगे। अजित पवार ने यह भी कहा कि इस तरह की देरी नई बात नहीं है, और यदि कोई पिछला उदाहरण देखें तो 1999 में भी सरकार बनाने में एक महीने से अधिक का समय लगा था।

भाजपा और शिवसेना में तनाव

भाजपा-शिवसेना के बीच खटपट और तनाव साफ नजर आ रहा है। प्रदेश भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय की घोषणा करते हुए कहा कि यह आयोजन दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में शाम 5 बजे होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत करेंगे। इस घोषणा से शिवसेना के भीतर बेचैनी बढ़ गई है। शिवसेना प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा कि इस तरह की घोषणा के लिए भाजपा को तीनों दलों – एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार – के नेताओं की सहमति लेनी चाहिए थी, और यह घोषणा बिना मुख्यमंत्री से सलाह किए नहीं होनी चाहिए थी।

शिवसेना का दबाव और गृह विभाग की मांग

वर्तमान में शिवसेना का खेमा अपनी मांगों को लेकर अड़ा हुआ है, खासकर गृह विभाग को लेकर। सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे और उनकी टीम गृह विभाग के लिए दबाव बना रहे हैं, जिसे लेकर भाजपा की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा है। शिंदे पहले ही कह चुके थे कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फैसले को वे मानेंगे, लेकिन उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश के बाद उनका विरोध बढ़ गया है।

महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी के बीच तकरार जारी है और मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस बना हुआ है। देखना यह होगा कि 5 दिसंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी प्रकार का समाधान निकलता है या फिर यह सस्पेंस और बढ़ता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा को सीएम पद सौंपने के बावजूद महायुति के भीतर के मतभेदों का असर सरकार की कार्यप्रणाली पर पड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किसके पास जाता है मुख्यमंत्री पद और महायुति के भीतर की यह राजनीतिक जंग किस रूप में समाप्त होती है।

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