KNEWS DESK- बीते 14 महीनों से चल रहे हिंसक संघर्ष के बाद, इस्राइल ने लेबनान के साथ अस्थायी युद्ध विराम पर सहमति जताई है। इस्राइल की सुरक्षा कैबिनेट द्वारा लिया गया यह निर्णय अब लागू होने की ओर बढ़ रहा है, जबकि लेबनान ने अभी तक औपचारिक रूप से इसे मंजूरी नहीं दी है। यह समझौता बुधवार, स्थानीय समयानुसार सुबह 4:00 बजे (0200 GMT) से लागू होगा।
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने पुष्टि की कि उनके मंत्रियों ने युद्ध विराम प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वहीं, लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बोउ हबीब ने इटली में जी-7 बैठक के दौरान यह संकेत दिया था कि युद्ध विराम मंगलवार रात तक लागू हो सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल की सुरक्षा कैबिनेट की सहमति के बाद यह समझौता अब पूरी कैबिनेट के सामने समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। लेबनान और हिज़बुल्ला ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है। हालांकि, लेबनानी कैबिनेट बुधवार को इस समझौते की औपचारिक मंजूरी के लिए बैठक करेगी।
नेतन्याहू ने दी सख्त चेतावनी
इस युद्ध विराम के समझौते के साथ, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिज़बुल्ला और अन्य शत्रु गुटों के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है। नेतन्याहू ने कहा, “हम सैन्य कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता बनाए रखते हैं। अगर हिज़बुल्ला समझौते का उल्लंघन करता है, तो हम तुरंत जवाब देंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि हिज़बुल्ला सीमा के पास आतंकवादी ढांचा बनाने की कोशिश करता है, रॉकेट लॉन्च करता है, सुरंग खोदता है, या हथियारों की तस्करी करता है, तो इस्राइल ऐसे किसी भी कदम का सख्त जवाब देगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “हम समझौते को लागू करेंगे और किसी भी उल्लंघन का जोरदार जवाब देंगे। हम जीत तक एकजुट रहेंगे।”
युद्ध विराम का महत्व और प्रभाव
यह अस्थायी युद्ध विराम दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे दोनों पक्षों को कुछ समय के लिए सैन्य संघर्ष से राहत मिल सकती है। हालांकि, इस समझौते में कोई स्थायी समाधान नहीं है और इसकी सफलता इस पर निर्भर करती है कि दोनों पक्ष इसे कितनी गंभीरता से लागू करते हैं।
समझौते के बाद, यदि हिज़बुल्ला या कोई अन्य गुट युद्ध विराम का उल्लंघन करता है, तो युद्ध फिर से भड़क सकता है, जिससे क्षेत्र में और भी विनाश हो सकता है। इस समय, सभी की निगाहें इस समझौते के लागू होने पर हैं, और इस बात की प्रतीक्षा की जा रही है कि क्या यह शांति का रास्ता प्रशस्त करता है या फिर संघर्ष की एक नई लहर का आगाज करता है।
यह समझौता उस क्षेत्रीय तनाव के बीच हुआ है, जिसमें इस्राइल और हिज़बुल्ला के बीच कई बार झड़पें हुईं हैं, और दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी रही है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह अस्थायी युद्ध विराम स्थायी शांति की ओर कदम बढ़ाता है या नहीं।
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