KNEWS DESK- संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर पांच दिनों से जारी तनाव के बाद रविवार को हालात बेकाबू हो गए। पथराव और फायरिंग के दौरान पुलिस और सैकड़ों उपद्रवियों के घायल होने की खबरें आई हैं। हालांकि, घायल लोग गिरफ्तारी के डर से इलाज के लिए चोरी-छिपे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। पुलिस अब इन घायल उपद्रवियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। एएसपी श्रीशचंद्र ने बताया कि जिला अस्पताल केवल दो घायल लोग इलाज के लिए पहुंचे थे, जबकि बाकी लोग गुपचुप तरीके से इलाज करा रहे हैं। पुलिस उनका भी पता लगा रही है।
जिले के अधिकारी नहीं भांप पाए स्थिति की गंभीरता
पिछले पांच दिनों से संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद तेज हो गया था। हालांकि, जिले के अधिकारियों और सूचना तंत्र को इसका सही आकलन नहीं हो सका। रविवार को अचानक सर्वे टीम के पहुंचने के बाद विरोध और गुस्सा भड़क गया, जिससे हिंसा का माहौल बन गया। संभल से मुरादाबाद तक का सूचना तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया, और इस तरह के बवाल की कोई पूर्व सूचना नहीं मिल पाई।
पत्थरबाजी में शहर की गलियां पटीं, पुलिस को थी कठिनाई
करीब डेढ़ घंटे तक चले पथराव में शहर की गलियां ईंट और पत्थरों से पटी पड़ी थीं। हालात को नियंत्रित करने के बाद पुलिस ने नगर पालिका की मदद से इन रास्तों को साफ कराया और क्षतिग्रस्त वाहनों को हटवाकर थाने भिजवाया। लेकिन जामा मस्जिद के आसपास की गलियां पहले जैसी खस्ता हालत में ही रही।
आंसू गैस के गोले पर भी पत्थरबाजों ने पलटवार किया
पुलिस ने जब पथराव को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, तो उपद्रवी नकाब पहनकर आए थे, जिन्होंने वही गोले उठाकर पुलिस पर फेंक दिए। इससे पुलिसकर्मियों को मोर्चा संभालने में दिक्कत हुई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन उपद्रवियों का आचरण पेशेवर था और वे केवल हिंसा फैलाने के उद्देश्य से आए थे।
हरिहर मंदिर और जामा मस्जिद विवाद: कोर्ट में मामला
इस हिंसा की जड़ जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच जारी विवाद है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद का निर्माण मुगलों के शासन काल में हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था। उन्होंने कोर्ट में बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी का हवाला देते हुए यह दावा किया कि वहां पहले एक हरिहर मंदिर था। इस मामले में सिविल जज की अदालत ने 19 नवंबर को वाद दाखिल किया था और इसके बाद सर्वे प्रक्रिया शुरू की गई थी। कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर को सर्वे शुरू हुआ था, और रविवार को सर्वे टीम को फिर से संभल भेजा गया था।
सर्वे के लिए कमीशन गठित
सिविल जज के आदेश पर कोर्ट ने एक कमीशन का गठन किया, जो सर्वे की रिपोर्ट तैयार करेगा। कमीशन का नेतृत्व कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव कर रहे हैं, और टीम ने पहले ही संभल में सर्वे की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस विवाद में कई धार्मिक और ऐतिहासिक पहलू सामने आ रहे हैं, जिसे लेकर दोनों पक्षों की ओर से कड़ी बयानबाजी की जा रही है।
पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की स्थिति
घटनाओं के इस बढ़ते सिलसिले के बाद, पुलिस प्रशासन ने हिंसा के मामलों में सख्ती बढ़ा दी है। कई घायल लोग इलाज के लिए चोरी-छिपे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है। हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।
संभल में अब तक हुई हिंसा और उपद्रवों ने प्रशासनिक तंत्र की चूक को उजागर किया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्यों इस विवाद को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया।
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