KNEWS DESK – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने राज्य में महायुति (एनडीए) की सत्ता में जोरदार वापसी का रास्ता साफ कर दिया है। 288 विधानसभा सीटों में से महायुति ने 236 सीटों पर बढ़त हासिल की है। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना 56 सीटों पर आगे रही। एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी 41 सीटें जीतकर अपना प्रभाव बनाए रखा, जो कि शरद पवार गुट की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन है।
मुख्यमंत्री पद पर जारी है खींचतान
महायुति की सरकार बनना तय है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस बना हुआ है। बीजेपी के पास अपने दम पर सबसे ज्यादा सीटें हैं और उसका स्ट्राइक रेट भी अन्य दलों की तुलना में बेहतर है। इस स्थिति में बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कर सकती है। वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) यह तर्क दे सकती है कि गठबंधन में चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था और उनके चेहरे को आधार बनाकर कई नीतियां और योजनाएं (जैसे लाडकी बहीण योजना) पेश की गईं, जिसने जनता का विश्वास जीता। एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अजित पवार के समर्थकों का मानना है कि उनकी रणनीति ने महायुति की जीत में बड़ा योगदान दिया है।
मुख्यमंत्री के दावेदार: फडणवीस, शिंदे, या अजित पवार?
महायुति में तीन बड़े चेहरे हैं, जो मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल माने जा रहे हैं:
- देवेंद्र फडणवीस (बीजेपी):
- फडणवीस के पास अनुभव और प्रभाव है। वह 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं।
- उनकी पार्टी के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं, जिससे उनका दावा मजबूत होता है।
- एकनाथ शिंदे (शिवसेना):
- शिंदे मौजूदा मुख्यमंत्री हैं और शिवसेना के शिंदे गुट का चेहरा हैं।
- उन्होंने गठबंधन को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- हालांकि, उनकी पार्टी की सीटें कम होने से उनका दावा कमजोर पड़ सकता है।
- अजित पवार (एनसीपी):
- अजित पवार ने एनसीपी के शरद पवार गुट को पीछे छोड़ते हुए महायुति को मजबूत किया है।
- वह महागठबंधन में संतुलन बनाए रखने के लिए अहम माने जा रहे हैं।
2019 जैसी स्थिति, लेकिन समीकरण अलग
2024 के इन नतीजों ने 2019 के महाराष्ट्र चुनाव की याद दिला दी है।
- 2019 में बीजेपी ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना 56 पर थी।
- नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) में तकरार हो गई थी, जिससे शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी।
- लेकिन इस बार बीजेपी के पास इतनी सीटें हैं कि अगर शिवसेना (शिंदे गुट) अलग हो भी जाए, तो भी सरकार पर कोई खतरा नहीं होगा।
महायुति की जीत के पीछे कारण
- बीजेपी की मजबूत रणनीति:
- जमीनी स्तर पर कैडर की मजबूत पकड़।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में प्रभावी प्रचार अभियान।
- शिंदे गुट की लोकप्रियता:
- एकनाथ शिंदे का साधारण पृष्ठभूमि से आकर मुख्यमंत्री बनने का सफर।
- लाडकी बहीण और अन्य लोकलुभावन योजनाओं का असर।
- अजित पवार का कुशल प्रबंधन:
- एनसीपी (अजित गुट) ने विपक्ष को कमजोर कर महायुति को स्थिरता दी।
महाविकास अघाड़ी का खराब प्रदर्शन
महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन, जिसमें उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, शरद पवार गुट की एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं, इस चुनाव में केवल 48 सीटों पर सिमट गया।
- उद्धव ठाकरे गुट और शरद पवार गुट के बीच समन्वय की कमी।
- कांग्रेस का कमजोर संगठन।
- बीजेपी और शिंदे गुट की नीतियों और प्रचार के आगे एमवीए की रणनीति विफल रही।