KNEWS DESK – बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान जितने खुशमिजाज और आत्मविश्वासी नजर आते हैं, उनकी असल जिंदगी उससे कहीं ज्यादा भावनात्मक और गहराई से भरी हुई है। हाल ही में दुबई में आयोजित ग्लोबल फ्रेट समिट में उन्होंने अपने व्यक्तिगत और पेशेवर सफर की चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की।
बाथरूम में बहते हैं आंसू
शाहरुख ने बताया कि जब भी उन्हें किसी असफलता या निराशा का सामना करना पड़ता है, तो वे अपने इमोशंस को बाथरूम में रोकर निकालते हैं। उन्होंने कहा,”मैं बाथरूम में फूट-फूटकर रोता हूं। लेकिन एक बार रो लेने के बाद, मैं खुद को संभालता हूं और आगे बढ़ने पर ध्यान देता हूं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि असफलता को स्वीकार करना और उससे सीखना जरूरी है। “दुनिया आपके खिलाफ नहीं है। अगर मेरी फिल्म फ्लॉप होती है, तो यह मानना चाहिए कि मुझसे गलती हुई, न कि यह सोचना कि कोई साजिश रची गई।”
सक्सेस और उसके मायने
शाहरुख ने सफलता और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि सफलता कभी-कभी आपको अलग-थलग कर देती है। “जब आप सफल होते हैं, तो आपको अपने आसपास की दुनिया में बदलाव को समझना होगा। आंखों पर पट्टी बांधकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता।” उन्होंने कहा कि असफलता और सफलता दोनों को संतुलित तरीके से संभालने की जरूरत है।
परिवार और पिता के रूप में शाहरुख
शाहरुख अपने तीन बच्चों – आर्यन, सुहाना, और अबराम के साथ एक गहरे रिश्ते को साझा करते हैं। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि उनका ध्यान इस बात पर है कि उनका सबसे छोटा बेटा अबराम (11 साल) उन्हें एक सुपरस्टार के रूप में पहचाने।
“मेरा बड़ा बेटा आर्यन एक दिन आया और बोला, ‘आपको पता है, अबराम जानता है कि आप एक बड़े स्टार हो।’ लेकिन मैं चाहता हूं कि वह सिर्फ यह न जाने, बल्कि स्टारडम को महसूस भी करे।”
पैरेंट्स का खोना और प्रेरणा
शाहरुख ने कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने का जिक्र करते हुए कहा, “मेरे माता-पिता का सपना था कि मैं कुछ बड़ा करूं। मैंने कड़ी मेहनत की, ताकि वे जहां भी हों, गर्व महसूस करें कि मैं उनका ध्यान रख सकता था।”
साल 2023 की धमाकेदार वापसी
शाहरुख के लिए 2023 बेहद खास रहा। उनकी फिल्में पठान, जवान, और आने वाली डंकी ने उनकी सफलता को नए आयाम दिए। उन्होंने अपनी फिल्मी शुरुआत के दिनों को याद करते हुए बताया कि 90 के दशक में भारत में जिस खुलेपन का दौर आया, उसी ने उनके करियर को चमकने का मौका दिया। “मेरी फिल्मों में भावनाएं, प्यार और खूबसूरत पल थे, जो लोगों के दिलों में बस गए। 30 साल पहले जिन लोगों ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे देखकर शादी की, आज भी वे उस फिल्म को याद करते हैं।”