KNEWS DESK – आंध्र प्रदेश के तिरुमाला स्थित प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में श्रद्धालुओं के बढ़ते दबाव को देखते हुए दर्शन व्यवस्था में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड (टीटीडी) ने घोषणा की है कि अब दर्शन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को सिर्फ दो घंटे में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन मिल सकें।
AI और अन्य आधुनिक तकनीकों का सहारा
आपको बता दें कि वर्तमान में, तिरुपति मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 20 से 30 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि प्रतिदिन एक लाख तक श्रद्धालु मंदिर में आते हैं। इस व्यवस्था के कारण मंदिर परिसर में भीड़ और असुविधा होती है। अब बोर्ड ने निर्णय लिया है कि AI और अन्य आधुनिक तकनीकों का सहारा लेकर दर्शन की प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक और समयबद्ध बनाया जाएगा। इस कदम से न केवल दर्शन की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा, बल्कि श्रद्धालुओं की संख्या में भी संतुलन स्थापित किया जाएगा।
स्पेशल एंट्री दर्शन कोटा खत्म, वीआईपी दर्शन पर रोक
तिरुपति मंदिर के दर्शन को लेकर अक्सर वीआईपी दर्शन और स्पेशल एंट्री को लेकर विवाद होते रहे हैं। इस पर भी बोर्ड ने अहम फैसला लिया है। अब से स्पेशल एंट्री दर्शन का कोटा समाप्त किया जाएगा, जिससे वीआईपी दर्शन को लेकर उत्पन्न होने वाले विवादों को टाला जा सके। इस बदलाव से तिरुपति के दर्शन में समानता और पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा, तिरुपति मंदिर के स्थानीय नागरिकों के लिए एक खास व्यवस्था की गई है। हर महीने के पहले मंगलवार को तिरुपति के स्थानीय निवासियों के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था रहेगी, जिससे उन्हें आसानी से मंदिर में दर्शन का अवसर मिलेगा।
राजनीतिक बयानबाजी पर कड़ी कार्रवाई
टीटीडी बोर्ड ने यह भी घोषणा की है कि अब से तिरुपति मंदिर परिसर में नेताओं और राजनीतिक व्यक्तियों को बयानबाजी करने की अनुमति नहीं होगी। अगर कोई नेता यहां राजनीतिक बयान देते हुए पाया गया, तो बोर्ड उसे कानूनी नोटिस भेजेगा। इस कदम का उद्देश्य मंदिर को राजनीति से दूर रखना और श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाना है।
प्रसाद विवाद और बदलाव की प्रक्रिया
हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद—विशेष रूप से लड्डू—को लेकर विवाद पैदा हो गया था। 9 जुलाई 2024 को प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी के नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए थे और 16 जुलाई को रिपोर्ट सामने आई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि घी में ‘पशु की चर्बी’ और ‘सूअर की चर्बी’ जैसी सामग्री शामिल थी, जो श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती थी।
यह विवाद राजनीतिक बहस का कारण बन गया था, जिसमें मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की पिछली सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ किया है। वहीं, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने पलटवार करते हुए इसे एक राजनीतिक दांव करार दिया और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए ‘झूठे आरोप’ लगाए हैं। इस विवाद के बाद टीटीडी ने प्रसाद की गुणवत्ता और उसकी तैयारी प्रक्रिया में सुधार के लिए कदम उठाए हैं।