KNEWS DESK – हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर एक बार फिर चर्चा में हैं। हालांकि, इस बार मामला किसी नए बयान का नहीं, बल्कि उनके खिलाफ दायर एक पुराने केस के निपटारे का है। 2021 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और तालिबान की तुलना को लेकर दिए गए बयान पर विवाद खड़ा हुआ था, जिसके चलते जावेद अख्तर को कानूनी पचड़ों का सामना करना पड़ा। अब, इस मामले में शिकायतकर्ता वकील ने केस वापस ले लिया है और कोर्ट ने जावेद अख्तर को बरी कर दिया है।
2021 का विवाद: RSS और तालिबान की तुलना
जावेद अख्तर ने 2021 में एक इंटरव्यू के दौरान RSS और तालिबान के बीच समानता पर टिप्पणी की थी। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी थी। संघ से जुड़े वकील संतोष दुबे ने इसे व्यक्तिगत अपमान करार देते हुए मुंबई की मुलुंड मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि का मामला दर्ज कराया था। वकील ने जावेद अख्तर से बिना शर्त माफी मांगने और 100 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की थी।
कोर्ट की सुनवाई और समन
2022 में अदालत ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जावेद अख्तर को समन जारी किया और मामले की सुनवाई शुरू की। वकील ने दावा किया कि जावेद अख्तर के बयान ने उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई और उनके दोस्तों व क्लाइंट्स के बीच उनकी छवि पर नकारात्मक असर पड़ा।
मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझा
तीन साल तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद, 8 नवंबर 2024 को वकील संतोष दुबे ने अदालत में घोषणा की कि दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझा लिया गया है। वकील ने अपनी शिकायत वापस ले ली, जिसके बाद अदालत ने जावेद अख्तर को मुकदमे से बरी कर दिया।
जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया
हालांकि, जावेद अख्तर ने इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके लिए यह राहत भरी खबर है। इस विवाद ने तीन साल तक उन्हें कानूनी लड़ाई में उलझाए रखा, लेकिन अब यह अध्याय समाप्त हो चुका है।
डॉक्यूमेंट्री और हालिया काम
इस विवाद से अलग, जावेद अख्तर अपनी डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘Angry Young Men’ को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। सलीम-जावेद की प्रतिष्ठित जोड़ी पर आधारित यह सीरीज़ 20 अगस्त 2024 को प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई थी। इसमें उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन से जुड़े अनसुने पहलुओं को दिखाया गया है।
विवाद के बावजूद सम्मानजनक छवि
जावेद अख्तर अपने विचारों और बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। कई बार उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनकी लेखनी और सिनेमा में योगदान को लेकर उनकी छवि हमेशा सम्मानजनक रही है। इस विवाद का सुलझना उनके और उनके प्रशंसकों के लिए एक सकारात्मक संदेश है।