उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की धामी सरकार पहाड़ की जमीन को बचाने के लिए सख्त भू कानून बनाने के साथ ही भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में जुट गई है। इसके तहत प्रदेश सरकार ने भू कानून का उल्लंघन करने वालों को नोटिस भेजने भी शुरू कर दिये हैं। मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के अधिकांश जिलों में एक के बाद एक भू-कानून को ताक पर रखने के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। सभी मामलों में जिलाधिकारियों ने नोटिस जारी कर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इसके तहत सबसे ज्यादा 196 मामले देहरादून में सामने आए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर 64 मामलों में नैनीताल में नोटिस जारी कर केस दर्ज हुए हैं। बता दें कि शासन के निर्देश के बाद जिले में बाहरी लोगों के 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने के मामले की जांच शुरू की गई है। जिले में हफ्तेभर में करीब 254 मामलों की जांच की गई। जिसमें 64 मामलों में भू-कानून उल्लंघन की बात सामने आई है। जांच में कहीं कृषि भूमि पर व्यावसायिक गतिविधि मिली तो कहीं व्यावसायिक उपयोग के लिए खरीदी जमीन बंजर पाई गई। कई हेक्टेयर जमीन खरीदकर उसका गलत उपयोग करने के मामले भी सामने आए। जबकि कई जगहों पर कृषि भूमि खरीदकर उस पर रिजॉर्ट तक तैयार कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास की मांग की जा रही है. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री ने अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून के ड्राफ्ट को लाने का दावा किया है इस बीच सख्त भू-कानून को लेकर गैरसैंण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बैठक भी हुई है। इसमें भू-कानून को लेकर बनाई गई समिति के सदस्यों समेत पूर्व आईएएस अधिकारियों और बुद्धिजीवियों के साथ भू-कानून के ड्राफ्ट पर चर्चा भी की गई है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने राज्य के सख्त भू कानून को कमजोर किया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने नोटिस जारी कर कमीशनखोरी के बढ़ने की संभावना जताई है…साथ ही विपक्ष ने सत्तापक्ष के नेताओं पर भी कार्रवाई की मांग की है.
उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने की मांग के बीच धामी सरकार ने पहाड़ की जमीन को बचाने की कवायद तेज कर दी है। इसके तहत प्रदेश सरकार ने भू कानून का उल्लंघन करने वालों को नोटिस भेजने भी शुरू कर दिये हैं। प्रदेशभर में 430 से अधिक भू कानून उल्लंघन के मामले सामने आ चुके हैं। सभी मामलों में जिलाधिकारियों ने नोटिस जारी कर दिये हैं. सबसे अधिक मामले देहरादून में सामने आए हैं। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने इस नोटिस के पीछे कमीश्नखोरी के बढ़ने और सलेक्टिव राजनीति के बढ़ने की संभावना जताई है।
आपको बता दें कि धामी सरकार सख्त भू कानून के ड्राफ्ट पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने इसके लिए गैरसैँण में अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी। वहीं मुख्यमंत्री अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून के ड्राफ्ट को लाने का दावा भी कर रहे हैं. हांलाकि कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने ही राज्य के सख्त भू कानून को कमजोर किया है। कांग्रेस का आरोप है कि त्रिवेंद्र और धामी सरकार के राज में राज्य के भू कानून को कमजोर किया गया। बता दें कि तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए। जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया था। इसके पीछे पहाड़ों में उद्योगों को स्थापित करना बताया गया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेद्र सिंह रावत का कहना है कि कानून बनने से दूरूस्त क्षेत्रों का विकास प्रभावित ना हो इसका भी ध्यान रखना चाहिए
कुल मिलाकर राज्य में पहाड़ की जमीन को बचाने के लिए सख्त भू कानून लागू करने की मांग की जा रही है. इसके लिए लगातार आंदोलन भी किये जा रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री धामी ने सख्त भू कानून के ड्राफ्ट पर कार्य करने के साथ ही भू कानून का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई भी शुरू कर दी है…देखना होगा क्या राज्य में सख्त भू कानून लागू होगा, क्या पारदर्शीता के साथ भू कानून का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध सरकार कार्रवाई करेगी या नहीं