KNEWS DESK, उत्तर प्रदेश के झांसी में शनिवार को एक बड़ी और दुखद घटना सामने आई, जब झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में अचानक आग लग गई। इस हादसे में अब तक 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 17 बच्चे अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती हैं। घटना की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार और प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच का ऐलान किया है, ताकि हादसे की वजह का पता चल सके और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घटनास्थल का दौरा किया
आपको बता दें कि घटना के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने झांसी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। घटनास्थल पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया और कहा कि अगर कोई भी गड़बड़ी पाई जाएगी तो जो भी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा| इस हादसे में 10 बच्चों की जान चली गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पहचान के लिए परिजनों से संपर्क किया जा रहा है, हालांकि कुछ बच्चों के परिजनों से संपर्क नहीं हो पाया है।
ब्रजेश पाठक ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की बात की और कहा, “पहली जांच शासन स्तर पर होगी, जिसे स्वास्थ्य विभाग करेगा। दूसरी जांच जिला स्तर पर की जाएगी, जिसमें पुलिस प्रशासन और फायर विभाग की टीम साथ मिलकर मामले की तह तक जाएगी। तीसरी जांच मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि घटना की वजह का पता चले और जिम्मेदारी तय की जाए।”
आग लगने का कारण और स्थिति
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) सचिन माहोर के अनुसार, एनआईसीयू वार्ड में कुल 54 बच्चे भर्ती थे, जब अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। उन्होंने बताया, “आग बुझाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन आग तेजी से फैल गई, जिसके कारण 10 बच्चों की मौत हो गई। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है।”
वहीं, भाजपा विधायक राजीव सिंह परीछा ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक बेहद दुखद घटना है। उन्होंने यह भी बताया कि 35 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और उनकी स्थिति अब स्थिर है। सरकारी अधिकारियों के साथ सरकार लगातार संपर्क में है और हर मदद मुहैया कराई जा रही है।
क्या थी आग की वजह?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि जांच के बाद ही की जाएगी। आग की घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया और बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया। फायर और मेडिकल टीमों ने मिलकर तेजी से काम किया, लेकिन तब तक आग ने बहुत अधिक नुकसान पहुंचा दिया था।
मारे गए बच्चों में से सात की पहचान हो चुकी है, जबकि तीन बच्चों की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है। परिजनों से संपर्क किया जा रहा है, जिनमें से छह परिवारों से अभी संपर्क नहीं हो सका है। वर्तमान में 17 बच्चों का इलाज जारी है, जिनमें से चार बच्चों को वात्सल्य प्राइवेट अस्पताल में और तीन बच्चों को मातृत्व वार्ड में भर्ती कराया गया है। एक बच्चे को ललितपुर और एक को मौरानीपुर भेजा गया है, जबकि छह बच्चों को उनकी माताओं के साथ अस्पताल में रखा गया है।
आग से बचाव उपायों पर सवाल
इस घटना ने अस्पतालों में सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर नवजात शिशुओं के वार्ड में। फायर सेफ्टी ऑडिट और मॉक ड्रिल होने के बावजूद इस तरह की घटना का होना सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाता है। सरकार और प्रशासन अब इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और सुरक्षा मानकों को सख्त किया जा सके।