KNEWS DESK – बॉलीवुड अभिनेता विक्रांत मैसी, राशि खन्ना, और रिद्धि डोगरा की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ आखिरकार रिलीज हो चुकी है, और यह गोधरा कांड की भयावह सच्चाई को एक नए अंदाज में प्रस्तुत करती है। फिल्म के ट्रेलर और स्टारकास्ट के इंटरव्यूज ने पहले ही दर्शकों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी थी। ट्रेलर से लेकर रिलीज तक यह फिल्म हर जगह चर्चा का विषय बनी रही है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है।
कहानी की गहराई और प्रस्तुति
फिल्म की कहानी 2002 के गोधरा कांड पर आधारित है, जो भारत के इतिहास का एक काला अध्याय माना जाता है। विक्रांत मैसी ने फिल्म में समर कुमार नाम के एक पत्रकार का किरदार निभाया है, जो सच्चाई के अनावरण के लिए प्रतिबद्ध है। समर के किरदार के माध्यम से फिल्म में गोधरा कांड के पीछे की सच्चाई को खोजने की जद्दोजहद और इसके प्रति समाज की धारणा को सामने लाने की कोशिश की गई है। फिल्म का पहला भाग बेहद तेज़ और रोमांचक है, जो दर्शकों को सीट से बांधे रखता है, जबकि दूसरा भाग थोड़ा धीमा है, लेकिन कहानी की गहराई को और मजबूती से पेश करता है।
विक्रांत मैसी की दमदार अदाकारी
विक्रांत मैसी ने अपनी बेमिसाल अदाकारी से एक बार फिर दर्शकों का दिल जीत लिया है। फिल्म में उनके अभिनय की गहराई और उनकी अभिव्यक्ति ने दर्शकों को अपने किरदार से जोड़ लिया है। उन्होंने अपने किरदार को इस तरह निभाया है कि उनकी एक्टिंग से उनकी जिज्ञासा और पीड़ा स्पष्ट झलकती है। पहले ’12वीं फेल’ और ‘सेक्टर 36’ जैसी फिल्मों में शानदार प्रदर्शन के बाद, विक्रांत ने इस फिल्म में भी अपनी क्षमता का बेहतरीन परिचय दिया है।
राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा का योगदान
राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा भी अपने किरदारों में अच्छी तरह ढली हैं और विक्रांत के साथ शानदार अभिनय की मिसाल पेश करती हैं। दोनों ने अपने-अपने रोल में गहरी छाप छोड़ी है, और फिल्म की कहानी में अपना पूरा योगदान दिया है। उनकी उपस्थिति कहानी को और सजीव बनाती है और दर्शकों को पूरी तरह बांधे रखती है।
तकनीकी पक्ष और निर्देशन
फिल्म के तकनीकी पहलुओं की बात करें तो इसका कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन हैं, जो कहानी को दृश्यात्मक रूप से और अधिक सशक्त बनाते हैं। बैकग्राउंड स्कोर भी इमोशनल और सस्पेंसफुल सीन्स में जान डालता है। हालांकि, कुछ वीएफएक्स और एडिटिंग में मामूली कमियां महसूस होती हैं, लेकिन ये कहानी पर असर नहीं डालतीं। फिल्म का निर्देशन धीरज शरण ने किया है, जिन्होंने इसे एकता कपूर के पारंपरिक सास-बहू ड्रामा से हटकर एक नए नजरिये के साथ पेश किया है। धीरज के निर्देशन में कई जगह अनुभव की कमी महसूस होती है, लेकिन कुल मिलाकर उन्होंने एक प्रभावशाली फिल्म बनाई है।