उत्तराखंड- देश की राजधानी दिल्ली के साथ ही अब हिमालयी राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है दीपावली के बाद से सभी स्थानों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। जिसकी वजह से लोगों में प्रदूषण से होने वाली बिमारियां भी बढ़ गई है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की स्थिति अब ये हो गई है कि दून की हवा मेरठ और गाजियाबाद से भी ज्यादा खराब है। दून का एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया है। जो कि चिंता की बात है। इस बीच मैदानी क्षेत्रों में घनी धुंध और कोहरे की वजह से भी सड़क हादसे बढ़ने लगे हैं। विजिबिलिटी कम होने से यातायात में भी लोगों को परेशानी हो रही है। वहीं दून में प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगा है। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी करते हुए लोगों से फिल्हाल सुबह शाम ना धूमने की अपील की है। वहीं अस्पतालों में मरीजों का दबाव काफी बढ़ गया है। बढ़ते प्रदूषण के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगा सहित सभी नदियों को स्वच्छ रखने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होने गैरसैंण में अधिकारियों की बैठक लेते हुए पर्यावरण संरक्षण के निर्देश दिये हैं। वही एक ओर जहां राज्य में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है तो वही वहीं दूसरी ओर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एक हजार हरे पेड़ काटे जाने की तैयारी चल रही है। सौंग बांध परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एक हजार हरे पेड़ काटे जाएंगे। जिसपर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की नीतियां पर्यावरण बचाने के विपरित कार्य कर रही है।
दिल्ली के बाद अब उत्तराखंड में प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। 11वे हिमालय राज्य उतराखंड में ऐसी परिस्थिति होगी किसी ने सोचा ना था। चिंता की बात ये है कि प्रदेश के अधिकांश मैदानी क्षेत्रों में एक्यूआई खतरे के निशान से ऊपर है। प्रदेश की राजधानी देहरादून की स्थिति तो और भी चिंताजनक बनी हुई है। यहा एक्यूआई 300 के करीब है। बढ़ते प्रदूषण ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की बैठक लेते हुए पर्यावरण संरक्षण के साथ ही गंगा सहित सभी नदियों को स्वच्छ रखने का संकल्प लेने का आह्वान किया है। वहीं पर्यावरण संरक्षण के साथ ही दून में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एक हजार हरे पेड़ काटे जाने की तैयारी चल रही है। सौंग बांध परियोजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एक हजार हरे पेड़ काटे जाएंगे। जिसपर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की नीतियां पर्यावरण बचाने के विपरित कार्य कर रही है जबकि भाजपा इससे इंकार कर रही है
वहीं प्रदेश के अधिकांश मैदानी क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण की वजह से धुंध छा गई है इसके अलावा घने कोहरे से विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। ऐसे में दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ गई है। वहीं प्रदेशभर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर राज्य में सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के कोई इंतजाम नहीं है। पुलिसिंग व्यवस्था चौपट है। ओवरस्पीडिंग को रोकने, शराब पीकर वाहन चलाने से रोकने के लिए पुलिस कोई कार्य नहीं कर रही है। बता दे कि देहरादून के ओएनजीसी चौक में ओवरस्पीड की वजह से छह युवाओं की मौत हो गई। जबकि अल्मोड़ा में बस के खाई में गिरने से 36 लोगों की जान चली गई। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है
कुल मिलाकर हिमालय राज्य उत्तराखंड में एक्यूआई का 300 के करीब पहुंचना बेहद चिंता की बात है। दूसरे प्रदेशों को स्वच्छ हवा देने वाला राज्य आज खुद साफ हवा के लिए तरस रहा है जो कि चिंता की बात है। वहीं विकास के नाम पर एकाएक काटे जा रहे पेड़ भविष्य के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। इस बीच सड़क दुर्घटनाओं में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने भी चिंता को बढ़ा दिया है।
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